शहरी जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए हरित स्थान का प्रबंधन” पर ऑनलाइन प्रशिक्षण का शुभारंभ
प्रशिक्षण में भारत के 22 राज्यों से भारतीय वन सेवा के 41 अधिकारी ले रहे भाग
देहरादून। श्री अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद तथा निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने सेवारत भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारियों के लिए दिनांक 23 से 27 अगस्त 2021 तक “शहरी जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए हरित स्थान का प्रबंधन” शीर्षक विषय पर आयोजित ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भारत के 22 राज्यों से भारतीय वन सेवा के 41 अधिकारी भाग ले रहे हैं।
श्री रावत ने शहरी जीवन की स्थिरता के लिए आज के संदर्भ में जैव विविधता संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए शहरी वानिकी के महत्व और प्रबंधन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शहरीकरण एक वैश्विक घटना है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शहरीकरण और शहरी विकास दर की डिग्री अलग-अलग है।
शहर वैश्विक स्थलीय सतह के 3% से कम भूमि पर बसे हैं, लेकिन 78% कार्बन उत्सर्जन, 60% आवासीय जल उपयोग और 76% लकड़ी औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करते हैं। इस अनियंत्रित शहरीकरण के परिणामस्वरूप भारत और दुनिया के कई शहरों में शहरी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण में गिरावट आई है। इसका असर मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि शहरी वानिकी पर शहरी वनों की की सुरक्षा और प्रबंधन नैतिक ज़िम्मेदारी, अर्थात शहरी पर्यावरण में सुधार हेतु अधिक वृक्ष लगाना आवश्यक है।
इस दौरान दिल्ली एमेरिटस प्रोफेसर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सी.आर. बाबू ने “शहरी पर्यावरणीय स्थिरता और लचीलापन के लिए एक मॉडल के रूप में जैव विविधता पार्क” पर व्याख्यान दिया।
शहरी वानिकी और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ इस प्रशिक्षण के दौरान विचार-विमर्श करेंगे, जिसमें डॉ. सारा बैरोन, प्रोफेसर यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया और डॉ. यादोंग क्यूई, प्रोफेसर, सदर्न यूनिवर्सिटी यूएसए शामिल हैं।
डॉ.विजेंद्र पंवार, प्रमुख वन पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन प्रभाग, एफआरआई, ने मुख्य अतिथियों, विशेषज्ञों, आईएफएस प्रशिक्षुओं, समूह समन्वयक अनुसंधान, प्रभागों के प्रमुख और वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए शहरी वानिकी में संभागीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. हुकुम सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।