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उत्तराखंड चुनोउ: फुंड_फूंका_यूँ_छुयों

उत्तराखंड चुनोउ: फुंड_फूंका_यूँ_छुयों
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चुनाव इस देश मे किसी उत्सव से कम नहीं। अन्य कोई उत्सव तो बस कुछ दिनों का होता है परंतु यह उत्सव मतदान के 2 महीने पहले से खुमार दिखाने लगता है और परिणाम के छः महीने बाद तक समीकरणो के आंकड़ों का खेल चर्चा का विषय बना रहता है।

इसी खुमार में हर विधानसभा के प्रत्याशी उनके कार्यकर्ता, पार्टी मेम्बर , बुकिंग गाड़ी वाले ,बेरोजगारी नवयुवक , आम जनता धीरे धीरे सराबोर होने लगी है । नामांकन के साथ ही कार्यकर्ताओं ने कमर इस बार कोविड के कारण  कम कसी है परंतु सोशल मीडिया पर मीम्स बनाने में हर प्रत्याशी का आई टी सेल जोर शोर से लगा है । आखिर सरकार हर हाथ को काम देकर ही मानी है। 

कोरोना ने भी चुनाव के माहौल की व्यूह रचना की दिशा बदल दी है । समय कम है , पर्चेबाजी पर प्रतिबंध है ,रैलियों पर प्रतिबंध है। अतः हर प्रत्याशी नए पैंतरे से इस चक्रव्यूह को भेदने में दिमाग, श्रम और धन लगा रहा है । स्कूल भले ही बंद हों, परंतु ठेके खुले हैं और पर उन पर लगने वाली लाइनों में कमी है । या तो आबकारी का कोटा एडवांस बुक हो चुका है या फिर लोग ठेकों की बजाय प्रमुख कार्यकर्ताओ पर नजर गड़ाए है।

ये बोलते हुए कि –माँ कसम भैजी तेरा सौं🙏 मैन ना त हाथ की हुस्की पिनी ,अर न फूल की रम”  🙏

जहां पिछली विधानसभाओं में नेगी जी के गानों की धुन्धकार मची थी इस बार वो सब सुन्न है । प्रत्याशियों के अपने गीत तारीफनुमा गीत जरूर बज रहे हों परन्तु “जनता” जिसे कि हमेशा ही सरकार के विपक्ष में रहना चाहिए। चाहे कोई भी सरकार हो उस जनता के जिकुडा की पीड़ा जो गाया जा सके ऐसा अभी तक कोई गीत नहीं

हां “यू पी में का बा ” गीत से लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने जरूर वहां धमक मचाई हुई है। 

रवि किशन , मनोज तिवारी और निरहुआ के भाजपा समर्थन में स्टूडियो में एचडी क्वालिटी में गाए गीत “यू पी में सब बा ‘ के बावजूद नेहा का ढोलक के साथ फोन से रिकॉर्ड किया गीत भारी पड़ रहा है । सपा तो नेहा को यश भारती पुरस्कार देने का भी मन बना चुकी है। 😊

हालांकि असली खुमार शुरू होगा चुनाव का, 28 के बाद ।

देवप्रयाग विधानसभा से बीजेपी से सिटिंग विधायक कंडारी जी,कांग्रेस से नैथानी जी,यू के डी से दिवाकर भट्ट जी और आप से उत्तम भंडारी जी, यही प्रत्याशी अभी तक मेरी जानकारी में हैं

मैच हालांकि यहां का त्रिकोणीय है :

टिकट की उम्मीद लगाए भाजपा कार्यकर्ता मगन सिंह बिष्ट जी ने काफी समय से इस विधानसभा के मुकाबले में रोमांच पैदा किया हुआ था पर अफसोस कि उन्हें दिल्ली दौड़कर भी खाली हाथ लौटना पड़ा । कहा तो ये भी जा रहा था कि वे निर्दलीय लड़ेंगे परंतु कभी कमल के फूल के ,कभी सिलेंडर के साथ और अब यूकेडी प्रत्याशी भट्ट जी के साथ उनकी फोटो देखकर कुछ कम अक्ल के लोग उन्हें बेपेंदी का लोटा कहने लगे हैं।

वैसे मुझे यह राजनीति बिल्कुल नहीं भाती जिसमें पार्टी के प्रति एकनिष्ठता न हो । जोड़तोड़ की राजनीति । अब हरक जी को ही देख लो 1996 में बीजेपी छोड़ कांग्रेसी हुए, 2017 में फिर भाजपाई हुए और 2022 में फिर कांग्रेसी हो गए । यानी कि पार्टी बस सिम्बल मात्र है। राजनीति तो अब व्यक्तिगत हो चुकी है। 

“इधर भाजपा के कार्यकर्ता रहे और पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए मगन सिंह जी आज भाजपा प्रत्याशी के साथ न होकर कहीं और खड़े हैं । क्या वे यूकेडी में अपनी संभावना तलाश रहे हैं भविष्य के लिए ??

तो फिर उनका क्या होगा जिन्होंने बूढ़े शेर भट्ट जी को इस उम्मीद के तहत मैदान में  बनाए रखा  है कि अगला नम्बर यूकेडी से अब हमारा है। 🤭

एक बात और अभी तक चर्चा का विषय थी कि बिष्ट जी के मैदान में उतरने से भाजपा वोटबैंक पर फर्क पड़ेगा। तो क्या अब उनके मैदान में न होने से भाजपा वोटबैंक में इजाफा होगा ? 

या फिर भट्ट जी के समर्थन में रहने से यूकेडी को फायदा होगा ? ये सोचनीय है कि जो पिछले 2 महीनों से सोशल मीडिया मंच पर बिष्ट जी के समर्थन में यूकेडी कार्यकर्ताओं में तनातनी रही।  

वे आज इस फ़ोटो को देखकर कुरुक्षेत्र के किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन वाली दशा में हैं ।

साथ ही साथ मुझे माननीय कारोबारी डी डी पंत जी से भी विशेष सहानुभूति है जिनके साथ जिला पंचायत चुनाव में पर्दे के पीछे वाले गद्दारी कर गए और अब जब उन्होंने पर्दे के पीछे का मोर्चा संभाला तो प्रत्याशी ही विलय हो गया ।  इसलिए कहता हूं राजनीति के चक्कर में व्यक्तिगत संबंध न खराब होने दें ।

बिष्ट जी के यूकेडी में विलय के साथ “वोट फ़ॉर लोकल “का नारा भी अस्त हो गया । उँ लोकु कि आस पर भी पाणी फिरिगी जु यनु था चाणा कि चला अपणा घर का खल्याण मा 2022 बिटिन हमारू अपणु भी किल्लु घइंटेगी ।

कुल मिलाकर ओपन गेम तो अभी तक यूकेडी ही खेल रही है। प्रत्याशी भट्ट जी की तरह ही दबंगई वाला । परन्तु पिछली बार की उनकी दबंगई ,कंडारी जी की  “च्वरमार ” के सामने फीकी पड़ी ।

“नैथानी जी अभी तक पुराने चुनावो के शक्ति प्रदर्शन के मुकाबले न्यूट्रल नजर आ रहे हैं पर ये भी सत्य है इनके गियर कब बदल जाए कुछ पता नहीं ।

नैथानी जी के भाषणों का और उनके गढ़वाली औखाणो का मैं हमेशा से कायल रहा हूँ । “

सामान्य गढ़वाली मानस के हृदय को छू हसने को मजबूर कर देते हैं। खासकर गवई माताओं- बहनों को जल्दी रिझा जाते हैं । इनकी पार्टी में भी ऊहापोह बनी हुई है पर फिलहाल तो नजर अपनी सीट पर है ।

उत्तम भंडारी जी के नाम और आप पार्टी के झाड़ू के अतिरिक्त इस विषय मे मैं कुछ नहीं जानता, हाँ इतना जरूर जानता हूँ कि फील्ड पर ऑल वेदर रोड किनारे कार्यकर्ता समाजसेवी नवयुवक गणेश भट्ट जी ने सदस्यता अभियान में काफी मेहनत की है । 

" त भैजी थौळ जुड्यू छ 
ढोल दमो का तणका कस्यां छन 
डौंर थकुली पर पिठै लगी छ 
जागरी घड्याल्या न्यूत्या छन 
अब देख्दा कु देवता तुसांदू अर कु रूसान्दू "

क्वी बात अगर बुरी लगी हो त आँखा बन्द करीक यू ही बोल्यां जु चुनौ परिणाम का बाद जिताऊ प्रत्याशी छोडीक हर एक मनखी बोल्दु कि ” फिर वूही छुईं , फुंड फुका तौं छुयों “

-नवीन सुयाल 

प्रख्यात चुनाव विशेषज्ञ 

(नोट- उपर्युक्त कोई भी बात पार्टी विशेष, कार्यकर्ता ,प्रत्याशी दिल पर न लें । यह एक मनोरंजक पोस्ट मात्र है)। लेख से संपादक का सहमत- असहमत होना जरूरी नहीं।


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Govind Pundir

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