मोहर्रम में ताजिया निकाल कर हजरत हुसैन की शहादत को किया याद
नई टिहरी मोहर्रम में ताजिया निकल कर हजरत हुसैन की शहादत को याद करते हुए ताजियों की जियारत की गई इस अवसर पर मोहर्रम इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मुशर्रा अली ने बताया की पैगंबर ए इस्लाम मुहम्मद सल्ला0 के नवासे हज़रत इमाम हुसैन सत्य और अहिंसा के पक्षधर थे। हज़रत इमाम हुसैन ने इस्लाम धर्म के उसूल, न्याय, धर्म, सत्य, अहिंसा, सदाचार और ईश्वर के प्रति अटूट आस्था को अपने जीवन का आदर्श माना था और वे उन्हीं आदर्शों के मुताबिक़ अपनी ज़िन्दगी गुज़ार थे यज़ीद ने हज़रत इमाम हुसैन और उनके ख़ानदान के लोगों को तीन दिनों तक भूखा- प्यास रखने के बाद अपनी फ़ौज से शहीद करा दिया. इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों की तादाद 72 थी।
पूरी दुनिया में कर्बला के इन्हीं शहीदों की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। दस मुहर्रम यानी यौमे आशूरा देश के कई शहरों में ताज़िये का जुलूस निकलता है। ताज़िया हज़रत इमाम हुसैन के कर्बला (इराक़ की राजधानी बग़दाद से 100 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में एक छोटा-सा क़स्बा) स्थित रौज़े जैसा होता है। लोग अपनी-अपनी आस्था और हैसियत के हिसाब से ताज़िये बनाते हैं और उसे कर्बला नामक स्थान पर ले जाते हैं। पहले ताज़िये के साथ अलम भी होता है, जिसे हज़रत अब्बास की याद में निकाला जाता है।
मुहर्रम हमें सच्चाई, नेकी और ईमानदारी के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। नई टिहरी में इमामबाड़े से ताजिया निकल कर कर्बला में सपुर्दे खाक किए गए इस मौके पर नौजवान इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए उनकी याद में मर्सिया पद रहे थे।
इस अवसर पर मोहर्रम इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मुशर्रफ अली इमरान खान, रमजान खान, सज्जाद बक्श, हसनैन खान,अब्बास खान , दिलसाद शेख, मुशअब अली, मो शानू ऐमन हुसैन आदि मौजूद रहे।