भगवान शिव हैं देवाधिदेव — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
जयहरीखाल । मेन बाजार में चल रही शिव कथा में नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि पदार्थ व काम-वासना प्रियता के इस युग में मनुष्य प्रायः असंतुष्ट-अतृप्त, हताश व उदास अनुभव कर रहा है…अपने स्वयं से भी कटुता में रहता है और अपने ही स्वजनों से भी।
भगवान शिव इसलिये देवों के देव हैं क्योंकि उन्होंने काम को भस्म कर रखा है। अधिकतर देव काम के अधीन हैं पर भगवान शिव राम के अधीन हैं। उनके जीवन में वासना नहीं उपासना है। शिव पूर्ण काम हैं, तृप्त काम हैं। काम का अर्थ वासना ही नहीं अपितु कामना भी है, लेकिन शंकर जी ने तो हर प्रकार के काम, इच्छाओं की सोच को ही नष्ट कर रखा। शिवजी को कोई लोभ नहीं, बस राम दर्शन का, राम कथा सुनने का लोभ और राम नाम जपने का लोभ ही उन्हें लगा रहता है। भगवान शिव बहिर्मुखी नहीं अंतर्मुखी रहते हैं। अंतर्मुखी रहने वाला साधक ही शांत, प्रसन्नचित्त, परमार्थी , सम्मान मुक्त, क्षमावान और लोक मंगल के शिव संकल्पों को पूर्ण करने की सामर्थ्य रखता है।
आज कथा में लैंन्सडाउन के विधायक महन्त दिलीप रावत ने पहुंचकर व्यासपीठ से आशीर्वाद लिया।