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टिहरी बांध की झील का जलस्तर घटने बढने से ग्राम “पिपोला खास ” में आई दरारें, गांव के नीचे हो रहा ग्राउंड मूमेंट :JEC Report

टिहरी बांध की झील का जलस्तर घटने बढने से ग्राम “पिपोला खास ” में आई दरारें, गांव के नीचे हो रहा ग्राउंड मूमेंट :JEC Report
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टिहरी गढ़वाल 11 जनवरी। एशिया के सबसे बडे़ बाध टिहरी बांध की 42वर्ग किलोमीटर की झील के जलस्तर के बढ़ने घटने से ऊपरी ढालो पर बसे आशिक़ डूब क्षेत्र के ग्राम अस्थिर होने लगें है, और लोगो के घरों में दरारे आ चुकी है, ये दरारे बढ़ती ही जा रही है।
पिपोला निवासी एडवोकेट शांति भट्ट का कहना है कि विगत वर्षो में राज्य सरकार ने जब बांध निर्माण कंपनी THDC, को रिजर्वायर (झील)का जल स्तर RL 820 मीटर से RL 830 मीटर तक भरने की अनुमती दी थी और THDC ने तब जलस्तर RL 832मीटर तक भरा, इससे Thdc और सरकार को खुब धनलाभ हुआ। देश को भरपूर बिजली और पानी मिला, किंतु इस झील से प्रभावित आशिंक डूब क्षेत्र के ग्रामों/परिवारों का विस्थापन होना अभी बाकी है।
चुकीं RL 835 मी.तक के ग्रामों को पुनर्वासित करने के लिए “पुनर्वास नीति 1998″थीं जो केवल RL 835मीटर तक के लोगों के लिए ही थी, किंतु झील का जलस्तर बढ़ने से RL 835मी. से ऊपर के लिए कोई नीति नहीं थी, तो सुप्रीम कोर्ट ने एन डी जयाल बनाम भारत संघ व किशोर उपाध्याय व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य की याचिका पर केंद्र, राज्य और thdc को यह आदेश दिया कि RL 835 मी. से ऊपर के प्रभावित ग्रामों/परिवारों के लिए एक नई पुनर्वास नीति बनाई जाय। तब जाकर केंद्र, राज्य और टीएचडीसी ने मिलकर नई पुनर्वास नीति “सम्पार्श्विक क्षति पूर्ति नीति 2013” बनाई, जिसे 2021में सशोधित किया गया।
श्री भट्ट का मानना है कि नई नीति से वे ही ग्राम/परिवार विस्थापित होंगे जिन्हें “संयुक्त विशेषज्ञ समिति (JEC)”अपनी संस्तुति देगी। JEC को हर छमाही में इन ग्रामों का निरीक्षण करने के भी आदेश दिए गए थे, ताकी हर छमाही में वे अपनी रिपोर्ट दे सके।
ग्राम पिपोला खास के एक भू भाग (सावित्री सैन नामे तोक) को JEC ने यह कह कर संस्तुति दी की ग्राउंड मूमेंट(Ground movement) के कारण यह भूभाग(Highly unstable) है, और इन्हे विस्थापित किया जाय, किंतु JEC द्वारा विस्थापन के लिए संस्तुति किए गए इस भू भाग से 20 मीटर की दूरी से ग्राम वासियों के मकान लगे है, जिनमे दरारे आ गई है।
यह कैसे संभव है कि जब गांव के 20मीटर पर जमीन में हलचल हो रही है और भू भाग अस्थिर है, तो गांव कैसे स्थिर रह सकता है।
कहा कि ग्राम पिपोला खास में पहले हल्की दरारें आई फिर यह धीरे धीरे बड़ी हो गई, आगे और भी खतरनाक स्थति हो सकती है, इसलिए समय रहते JEC ग्राम पिपोला खास को पूर्ण रूप से विस्थापित के लिए संस्तुति करे, और फिर पुनर्वास निदेशालय और टीएचडीसी शीघ्र विस्थापन करे ।
समय समय पर संबंधित अधिकारियों को अवगत कराया गया है, ज्ञापन मय फोटो ग्राफ दिए गए है।
संलग्न, JEC की रिपोर्ट

SITE SPECIFIC OBSERVATION AND RECOMMENDATIONS VILLAGES IN BHILANGANA VALLEY

Pipola khas
The village is located on the left bank of Bhilangana river between El#890mand El#970m and is connected by Tehri -srinagar highway.The area visited and assessed was mainly the Savitri Sain name Tok.The bed rock i.e thinly bedded and puckered and puckered phyllite is exposed at El#845m with an irregular rock line.Major part of the area is occupied by thick overburden/slope wash materil resting on a slope of 40°-50°towards Northeast.
The are visited and assessed was between El#870m and El#990m and a number of concentric ground cracks have been recorded.One of the major detachment has been recorded at El#915m and the mass below which shows signs of movement.The building of saraswati Vidyamandir school has been completely damaged by the ground movement.The ground crack on the highway (El#888m)shows vertical settlement of approximately 1.5m There are visible signs of ground distress towards the upstream side of the Village.The rear side of the houses of sh.chandi prasad Bhatt and that of sh.dhan singh shows signs of movement and vertical settlement.
The entire area of Savitri sain name tok of pipola khas is affected by the ground movement which may by attributable to the filling and draw down in the reservoir* . house in Nargarh name tok of this village has also been damaged.It is apprehended that the damage may be aggravated during successive filling and draw down in the reservoir.The area is settlement of savitri sain Name tok and one house in Nargarh name tok of Pipola khas village.”


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Garhninad Desk

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