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खुदेन्दू जोशीमठ कू दर्द -अतुल शैली

खुदेन्दू जोशीमठ कू दर्द   -अतुल शैली
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ओ लड्याऴा भैंटी जादि,
गौं गुठ्यार”चौका थे” 2
जोशीमठ की टुटदी उजड़ि
कुड्यू थे देखीं जै जन्मभूमि हेरि जै
ओ लड्याऴा भैंटी जादि,

ग्वाया लेनी जै गुठ्यारि ,
जै भीतरी तू ध्वै तपाई ,
तू जै कुठड़ी म ज्वान ह्वे ” 2
ऊँ बटो थे खाटौं हेरि जै |
थीं जन्मभूमि हेरि जै

यूं गौर भैंस्यूं कू क्या होलू,
केकी द्येऽऴी म जी रोंलू
,स्वारा चली गिन “बांठु दे” 2
बल मुल्क बिरणू हुणू रे
थीं जन्मभूमि हेरि जै

धै लगेनि धवड़ी मारी
हथ जोड़ी की त्वे भट्याई
हे नर्सिंग नारैण रे
ये कुछ मठ ख्याल केरि
थीं जन्मभूमि हेरि जै

दाता जरसी देभि द्यायलू
द्वी खंडू कू सांठू बांठू
जन दूण म सि मांणू रे
ये हिया कनै बुथ्याण रे
थीं जन्मभूमि हेरि जै
C@R अतुल शैली


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Garhninad Desk

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