जनरल बिपिन रावत बने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
- जनरल रावत पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रूप में पदभार संभाला
- तीनों सेनाओं की तरफ से रक्षा मंत्री के सलाहकार
- तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने का किया वादा
गद निनाद समाचार * नई दिल्ली,
01 जनवरी 2020
जनरल बिपिन रावत ने आज देश के पहले चीफ आफॅ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में पदभार संभाला। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तौर पर जनरल रावत तीनों सेनाओं के बारे में रक्षा मंत्री के मुख्य सैन्य सलाहकार होंगे। उनकी सेना को आंबटित बजट का युक्तिसंगत इस्तेमाल सुनिश्चित करने तथा संयुक्त नियोजन और एकीकरण के माध्यम से तीनों सेनाओं के लिए खरीद, प्रशिक्षण, और संचालन में बेहतर समन्वय बनाने में बड़ी भूमिका होगी। उन्हें तीनों सेनाओं के लिए रक्षा खरीद येाजना तैयार करते समय स्वेदशी हथियारों तथा रक्षा उपकरणों की खरीद को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास भी करने होंगे।
तीनों सेनाओं की एकीकृत तरीके से ऑपरेशनों को अंजाम देने की बड़ी ज़िम्मेदारी
पदभार ग्रहण करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में जनरल रावत ने तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने का वादा किया। जनरल रावत ने कहा “सीडीएस को तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय बनाने, सशस्त्र बलों को आवंटित संसाधनों का सर्वोत्तम आर्थिक उपयोग सुनिश्चित करने और खरीद प्रक्रिया में एकरूपता लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि सेना, नौसेना और वायु सेना एक टीम के रूप में काम करेगी और सीडीएस इन सब के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा।”
इससे पहले जनरल रावत ने नयी दिल्ली के साउथ ब्लॉक के लान में तीनों सेनाओं की सलामी गारद का निरीक्षण किया। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया और थल सेना प्रुमख मनोज मुकुंद नरवाणे भी मौजूद थे। जनरल रावत ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर पुष्प चक्र चढ़ाया और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
जनरल रावत राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, वेलिंगटन स्थित रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और उच्च कमान राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके हैं। उन्होंने अमरीका के फोर्ट लीवएनवर्थ से कमान और जनरल स्टाफ विषय की पढ़ाई की है।
जनरल रावत का सेना में लंबा अनुभव
सेना में अपने लंबे करियर के दौरान जनरल रावत सेना के पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर थल सेना की एक बटालियन का तथा कश्मीर और पूर्वोत्तर में भी सेना की टुकडि़यों का नेतृत्व कर चुके हैं। जनरल रावत ने कांगो गणराज्य में विभिन्न देशों की सेनाओं की एक ब्रिगेड की भी कमान संभाली है। उनके पास सेना की पश्चिमी कमान में कई सैन्य अभियानों के संचालन का अनुभव है। सेना प्रमुख नियुक्त किए जाने के पहले वे सेना उप प्रमुख के पद पर काम कर चुके थे।
सेना में 41 वर्षों से ज्यादा समय के कामकाज के अनुभव के आधार पर जनरल रावत को उनकी उत्कृट सेवाओं के लिए कई वीरता और अतिविशिष्ट सेवा पदकों से सम्मानित किया जा चुका है।