उत्तराखंडविविध न्यूज़

आध्यात्मिक महोत्सव का अर्थ है-अपने को अनुशासित करना-रसिक महाराज

Please click to share News

खबर को सुनें

मसूरी 12 जुलाई 2023। पहाडों की रानी मसूरी के लक्ष्मी नारायण मंदिर में सिंहल परिवार द्वारा आयोजित पित्रमोक्ष श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि आध्यात्मिक महोत्सव का अर्थ है – अपने को अनुशासित करना। सत्संग में रहोगे, शास्त्र श्रवण करोगे तो जीवन में अनुशासन आयेगे। बिना अनुशासन के कोई योग नही होगा। न संगठन चलेगा और न ही घर चलेगा।

जिसका स्वयं पर शासन करना आ गया, पूरी धरती उसके अनुशासन में रहती है। हमने कभी केवल आत्म-हित का चिन्तन नही किया, अपितु समग्र विश्व और तीनों लोकों के हित की कामना की।

नर्मदा के दर्शन का फल है – गुरु की प्राप्ति। गुरु का अर्थ विवेक और विचार से है। यदि आप प्रसन्न चित्त और सत्कर्म परायण हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप अच्छे विचारों के साथ हैं। माँ नर्मदा आदरणीय और पूजनीय इसलिए भी है, क्योंकि इसके तट पर भगवान आद्य शंकराचार्य को गुरु अर्थात् बोध की प्राप्ति हुई। हिन्दू होने का अर्थ है – जो अहिंसक है और सम्पूर्ण जगत का कल्याण चाहता है।

अध्यात्म आपको पूर्ण बनाता है, अध्यात्म के आलोक में कहीं न्यूनता नही रहती। इसलिए सच्चा गुरु साधक को परिपूर्ण बनाता है। चेला नही, गुरु ही बनाता है। अध्यात्म से अभेदोपासना प्रकाशित होती है। अपने आशीष उद्बोधन में पूज्य गुरुदेव ने अपने तीर्थों, पर्व-परम्पराओं, भाषा, भोजन भेषज को सम्भाल कर रखने एवं इन पर गर्व करने की बात कही। सन्त अथवा गुरु आपसे कोई बात कह रहे हैं तो ये समझना चाहिए कि भगवान आपसे अपने मन की बात कर रहे हैं।


Please click to share News

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!