उत्तराखंड को मिला कृषि कर्मण पुरस्कार
गढ़ निनाद समाचार
देहरादून/नई टिहरी, 2 जनवरी 2020
केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड को वर्ष 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी-2 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार गुरूवार को तुमकुर, कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं कृषि मंत्री सुबोध उनियाल को प्रदान किया। इस अवसर पर राज्य के दो प्रगतिशील किसानों, कपकोट की श्रीमती कौशल्या व भटवाड़ी के जगमोहन राणा को भी सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने उत्तराखंड को कृषि कर्मण पुरस्कार के लिए चयनित किये जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुना करने का संकल्प दिया है। उत्तराखण्ड प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये संकल्प को पूर्ण करने के लिये पूरी निष्ठा के साथ प्रयासरत है। कहा कि उत्तराखण्ड एक नवोदित राज्य है, जिसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53.48 लाख हेक्टेयर में कृषि का क्षेत्रफल मात्र 11.21 प्रतिशत है। इसका 56 प्रतिशत भाग पर्वतीय कृषि के अन्तर्गत आता है, जिसमें 89 प्रतिशत कृषि असिंचित एवं वर्षा आधारित है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना के पात्र लाभार्थियों की संख्या 8.38 लाख है, जिनमें से 6.84 लाख कृषक लाभान्वित किए जा चुके हैं, 6.72 लाख कृषकों को प्रथम किस्त, 6.56 लाख कृषकों को द्वितीय, 6.00 लाख कृषकों को तृतीय एवं 4.34 लाख कृषकों को चतुर्थ किस्त का भुगतान किया गया है, शेष कृषकों को भी योजना से जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री मानधन योजना में पात्र कृषकों का चयन कर उनके पंजीकरण की कार्यवाही गतिमान है। कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में परम्परागत एवं पौष्टिक फसलों की खेती होती है, जो कि असिंचित दशा में भी अच्छा उत्पादन दे सकती हैं।
मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा उत्तराखण्ड प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने की अपेक्षा की गयी है। भारत सरकार के सहयोग से परम्परागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत 89700 हेक्टेयर पी.जी.एस. के अन्तर्गत है। जिसमें परम्परागत फसलों, सब्जियों, फलों एंव जड़ी- बूटी के कलस्टर संचालित किये जा रहे हैं। वर्तमान में 34000 हेक्टेयर जैविक प्रमाणीकरण के अन्तर्गत है। आगामी 02 वर्षों में परम्परागत कृषि विकास योजना के संचालन से लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर जैविक प्रमाणीकरण के अन्तर्गत आ जाएगा, जिसमें निरन्तर वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में परम्परागत जल श्रोत सूख रहे हैं। पर्यावरणीय असंतुलन से नमी कम होती जा रही है। मृदा एवं जल संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुये जल संचय संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मौसम खरीफ में चावल, मण्डुवा तथा मौसम रबी में गेहूॅ एवं मसूर (जनपद पौड़ी एवं पिथौरागढ़) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत सम्मिलित हैं।