शहीद बेलमती चौहान राजकीय महाविद्यालय पोखरी क्वीली में गढ़ भोज कार्यक्रम का आयोजन
टिहरी गढ़वाल 7 अक्टूबर। शहीद बेलमती चौहान राजकीय महाविद्यालय पोखरी क्वीली में प्राचार्य डॉo शशिबाला वर्मा के निर्देशन में महाविद्यालय की सांस्कृतिक समिति एवं एन.एस.एस. इकाई के संयुक्त तत्वावधान में गढ़ भोज दिवस का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा विभिन्न रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम ऑन की प्रस्तुति देते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की गई। छात्र-छात्राओं द्वारा गढ़वाल के पारंपरिक अनाज एवं उसका महत्व विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया गया तथा साथ ही छात्र-छात्राओं द्वारा गढ़वाल के स्वादिष्ट पारंपरिक व्यंजन जैसे झंगोरा, झंगोर की खीर, कोदे की रोटी, लांगड़ी,बारहमासी छीमि, उड़द दाल पकौड़ी, सुंटा की पकौड़ी, पीसा लोन, भंगजीर, भांग, मारसा, जौ, तिल, लाल चावल, राजमा, चकोतरा की चटनी चकोतरे की चटनी, नारियल और तिल की चटनी आदि गढ़वाली उत्पादों से तैयार किए गए।
छात्र-छात्राओं में इस कार्यक्रम को लेकर खासा उत्साह दिखाई दिया एवं उनके द्वारा गढ़वाल के प्रमुख जड़ी बूटी उत्पादों की एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया जिनमे प्रमुख रूप से कंडाली, कड़ी पत्ता, दालचीनी, टेमरू,पहाड़ी लौकी, गोदड़ी, ककड़ी, भिंडी, बेंगन चिचिंडा, बर्मी कद्दू आदि सम्मिलित थे। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं कर्मचारियों द्वारा भी गढ़वाली व्यंजनों की एक प्रदर्शनी स्वयं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों से लगाई गई जिनमें कार्यालय की लिपिक श्रीमती रेखा नेगी एवं कुमारी अमिता पुनडोरा को पुरस्कार प्रदान किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर शशीबाला वर्मा द्वारा उक्त कार्यक्रम की सराहना करते हुए समस्त छात्र-छात्राओं को गढ़वाल के पारंपरिक व्यंजनों को अपने दैनिक जीवन में सम्मिलित करने हेतु कहा गया एवं यह भी कहा गया कि वर्तमान में चल रहे ऐसे खाद्य पदार्थ जिनका सेवन शरीर के लिए नुकसानदेह है उनसे बचना चाहिए तथा हमें पहाड़ के उत्पादों को अधिक से अधिक अपने दैनिक जीवन में शामिल करना चाहिए। जिससे हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकें। कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉक्टर रामपुर के द्वारा गढ़वाल के उत्पादन में निरंतर कमी का कारण पलायन को बताते हुए इसको रोकने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया तथा छात्र-छात्राओं को इस विषय पर जागरूक किया गया कि हमें अपने पहाड़ को छोड़कर मैदाने की तरफ जाने गिर जाए अपने पहाड़ों में रहकर अपने पारंपरिक उत्पादन का उत्पादन करने पर ध्यान देना चाहिए इससे पहाड़ की आरती की सुधार हो एवं पहाड़ का स्वास्थ्य भी पूर्व की तरह उत्तम बना रहे।
एन.एस.एस. इकाई की प्रभारी श्रीमती सरिता सैनी द्वारा स्वयंसेवियों को पहाड़ी खाद्य पदार्थ की महत्ता एवं आवश्यकता के विषय पर विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। सांस्कृतिक समिति की संयोजक डॉक्टर वंदना सेमवाल द्वारा छात्र-छात्राओं को पहाड़ी उत्पादों एवं जड़ी बूटियां के विषय में जानकारी प्रदान करते हुए बताया गया कि हमारे गढ़वाल में ऐसे खाद्य एवं औषधीय गुणों से परिपूर्ण जड़ी बूटियां उपलब्ध है, जिनका प्रयोग हम विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति पाने के लिए तथा अपने स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए कर सकते हैं, जिनकी हम सभी को जानकारी होनी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के सांस्कृतिक समिति के सदस्य दो विवेकानंद भट्ट द्वारा किया गया। संबंधी जानकारी प्रदान करते हुए डेंगू बुखार की रोकथाम हेतु एन. एस. एस. स्वयंसेवियों द्वारा परिसर के आसपास उगी झाड़ियां को काटकर तथा महाविद्यालय के आसपास एकत्रित जल के गड्ढों को मिट्टी से भरकर साफ सफाई की गई, जिससे डेंगू मच्छरों के पनपने की संभावना को काम किया जा सके।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉo सुमिता पंवार, डॉ मुकेश प्रसाद सेमवाल, श्रीमती रचना राणा, श्रीमती रेखा नेगी, श्री अंकित सैनी, कुमारी अमिता, श्री दीवान सिंह, श्री नरेंद्र बिजलवान, श्री नरेश रावत, श्रीमती सुनीता, श्री मूर्तिलाल आदि उपस्थित रहे।