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श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एन0के0 जोशी ने किया उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर ‘रामलीला नाटक‘ पुस्तक का विमोचन

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एन0के0 जोशी ने किया उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर ‘रामलीला नाटक‘ पुस्तक का विमोचन
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टिहरी गढ़वाल 8 अक्टूबर 2024 । श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय मुख्यालय में कुलपति प्रो0 एन0के0जोशी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर ‘रामलीला नाटक‘ पुस्तक का विमोचन किया। स्व0 पं0 नन्दकिशोर जोशी द्वारा रचित इस पुस्तक के द्वितीय संस्करण को उनके पुत्र प्रो0 विनोद कुमार जोशी एवं डाॅ0 ललित मोहन जोशी द्वारा प्रकाशन कराया गया।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एन0के0 जोशी ने पुस्तक के विमोचन के दौरान प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी लोक संस्कृति को विलुप्त होने से बचाने के लिए इस प्रकार की पुस्तकें प्रकाशित होनी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी लोक संस्कृति से रूबरू हो सके। अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कुलपति प्रो0 जोशी ने बताया कि कुमाऊं की रामलीला को अधिक समृद्ध और उत्कृष्ट बनाने में नृत्य सम्राट उदयशंकर के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है, उन्होंने सन् 1941 की नवरात्रियों में “रामलीला-छायाभिनय” का प्रदर्शन करके रामलीला को एक रूप में प्रस्तुत किया था। उनके संगीतज्ञ के अनुभव ने रामलीला में नृत्य की मुद्राओं, पैरों के संचालन, लय-ताल, स्वर-छंद एवं संगीत का जो प्रयोग किया गया वो दर्शकों को बांधने में सफल रहे थे।
उल्लेखनीय है कि कुमाऊं में प्रसिद्ध ‘रामलीला नाटक‘ शास्त्रीय संगीत एवं लोक संगीत पर आधारित है। अल्मोड़ा में प्रथम बार रामलीला का शुभारम्भ सन् 1860 से हुआ। इस पुस्तक में लेखक ने राम के अभिनय में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। लेखक ने नृत्य सम्राट पं0 उदय शंकर जी द्वारा अल्मोड़ा में खोले गये पं0 उदयशंकर इण्डियन कल्चर सेन्टर में नृत्य एवं गायन का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। प्रो0 जोशी द्वारा कहा गया कि यह पुस्तक सुधि पाठकों एवं जन सामान्य के ज्ञानोर्पाजन हेतु सार्थक एवं उपयोगी सिद्ध होगी।


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Govind Pundir

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