सुनीता विलियम्स की शानदार वापसी: 286 दिन अंतरिक्ष में बिताकर पृथ्वी पर लौटीं नायिका

भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अपने चार साथियों बुच विल्मोर, निक हेग और अलेक्जेंडर गोर्बुनोव के साथ मंगलवार देर रात 3:27 बजे एक रोमांचक और लंबे अंतरिक्ष सफर के बाद धरती पर लौट आईं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अपने विस्तारित मिशन को पूरा करने के बाद, उनका स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान फ्लोरिडा के तट पर शाम 5:57 बजे EDT (2:57 बजे PDT / 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे IST) पर शानदार ढंग से उतरा। क्रू-9 मिशन के इस साहसी दल ने सुबह 1:05 बजे EDT (17 मार्च को रात 10:05 बजे PDT / 18 मार्च को सुबह 10:35 बजे IST) आईएसएस से विदाई ली और 17 घंटे की रोमांचक वापसी यात्रा पर निकल पड़ा। सुनीता और विल्मोर ने 5 जून, 2024 को बोइंग के स्टारलाइनर से 8 दिन के मिशन के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन तकनीकी चुनौतियों ने उनकी कहानी को एक नया मोड़ दे दिया। स्टारलाइनर में थ्रस्टर खराबी और हीलियम रिसाव के कारण नासा ने उनकी वापसी को जोखिम भरा माना, और उनका यह छोटा साहसिक अभियान नौ महीने से अधिक की अविश्वसनीय अंतरिक्ष यात्रा में बदल गया। आखिरकार, स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल उनकी वापसी का सहारा बना, जो सितंबर 2024 में क्रू-9 मिशन के साथ आईएसएस पहुंचा था, और खास तौर पर उनके लिए दो सीटें खाली रखी गई थीं। क्रू-10 मिशन, जो 12 मार्च को लॉन्च हुआ और 16 मार्च को आईएसएस से जुड़ा, ने स्टेशन की कमान संभालकर इस ऐतिहासिक वापसी को संभव बनाया।स्प्लैशडाउन के बाद, रिकवरी टीमों ने कैप्सूल को पानी से बाहर निकाला, और अंतरिक्ष यात्री 286 दिनों तक अंतरिक्ष की невесомости (वजनहीनता) में रहने के बाद पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण में लौटे। यह एक भावुक और उत्साह भरा क्षण था! सुनीता के पैतृक गांव झुलासन, गुजरात में लोगों ने पटाखों और खुशियों के साथ उनकी वापसी का जश्न मनाया। आईएसएस की कमांडर रहीं सुनीता ने अपने परिवार और प्यारे कुत्तों से मिलने की उत्सुकता जाहिर की। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शोध को अंजाम दिया, बल्कि 62 घंटे से अधिक समय की नौ स्पेसवॉक के साथ अंतरिक्ष में इतिहास रच दिया।यह वापसी न केवल एक मिशन का समापन है, बल्कि मानव साहस, तकनीकी कौशल और अंतरिक्ष अन्वेषण की एक प्रेरणादायक गाथा है!
अब दुनियाभर की निगाहें सुनीता विलियम्स की आगामी भारत यात्रा पर टिकी हैं । उनके पैतृक गांव में खुशी और गर्व का माहौल है । झूलासण के निवासी इस बात को लेकर बेहद उत्साहित हैं कि जल्द ही उनकी “गांव की बेटी” भारत आएंगी और अपने परिवार के साथ समय बिताएंगी।