टिहरी: बौराडी शहीद स्मारक में नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा का भव्य समापन

टिहरी गढ़वाल । गंगा विश्व शांति सद्भावना समिति के तत्वावधान में बौराडी शहीद स्मारक पर आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा 1 से 9 अक्टूबर तक राष्ट्रीय संत डॉ. दुर्गेश आचार्य महाराज के सान्निध्य में भक्ति और उमंग के साथ संपन्न हुई। यह आयोजन देश के लिए बलिदान देने वाले शहीदों की स्मृति और आपदाओं में दिवंगत आत्माओं की शांति को समर्पित रहा।

कथा का शुभारंभ 1 अक्टूबर को भव्य कलश यात्रा के साथ हुआ, जिसमें क्षेत्र की सैकड़ों महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में उत्साहपूर्वक भाग लिया। सत्येश्वर महादेव मंदिर में विधिवत पूजन के बाद व्यासपीठ पर संत डॉ. दुर्गेश आचार्य महाराज ने कथा का शुभारंभ किया। नौ दिनों तक मां दुर्गा के विविध स्वरूपों, सती जी के प्रेरक जीवन प्रसंग, माता पार्वती की तपस्या और असुरों के संहार जैसे कथानकों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया।
*भक्ति, जागृति और सामाजिक संदेश*
प्रतिदिन दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं की भीड़ ने कथा स्थल को भक्ति के रंग में सराबोर किया। संत डॉ दुर्गेश महाराज ने मां की भक्ति, व्रत की महिमा, कन्या विवाह और देश-धर्म की रक्षा जैसे विषयों पर प्रेरक प्रसंग सुनाए। साथ ही, गंगा स्वच्छता, नशा नियंत्रण और युवाओं में संस्कार जागृति जैसे सामाजिक अभियानों का संदेश देकर समाज को नई दिशा प्रदान की। उनके ओजस्वी वचनों ने श्रोताओं में उत्साह और जागरूकता का संचार किया।
पूर्णाहुति और सम्मान समारोह
समापन के दिन सत्येश्वर महादेव मंदिर में हवन-पूर्णाहुति के साथ कथा का विधिवत समापन हुआ। इसके बाद प्रसाद वितरण और कथा मंडली की विदाई का आयोजन किया गया। संत महाराज ने आयोजन की भव्यता और समिति के प्रयासों की सराहना करते हुए आशीर्वचन दिए।
समिति अध्यक्ष राकेश राणा ने सैनिक कल्याण विभाग, नगर पालिका और ऊर्जा विभाग सहित सभी सहयोगी संस्थानों का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गंगा विश्व शांति सद्भावना समिति अगले वर्ष और भी भव्य कथा का आयोजन करेगी ।
राष्ट्रीय संत संत डॉ. दुर्गेश आचार्य महाराज ने सभी भक्तों को 10 से 16 अक्टूबर तक श्री बदरीनाथ धाम में आयोजित होने वाली श्रीमद् देवी भागवत कथा में शामिल होने का हार्दिक निमंत्रण दिया।
भक्ति और सेवा का अनूठा संगम
यह आयोजन न केवल शहीदों को श्रद्धांजलि और धार्मिक एकता का प्रतीक बना, बल्कि समाज कल्याण और जागृति का भी एक सशक्त मंच साबित हुआ। बौराडी शहीद स्मारक पर आयोजित यह कथा भक्ति, सेवा और समर्पण का एक अनुपम उदाहरण बनकर क्षेत्र में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर गई।