अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ ने शासनादेश का किया विरोध, भर्ती प्रक्रिया तत्काल शुरू करने की मांग

टिहरी गढ़वाल/देहरादून। अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक एवं कर्मचारियों के रिक्त पदों को तीन माह के भीतर मृत घोषित किए जाने तथा भर्ती एवं स्थानांतरण के लिए निदेशालय से पुनर्जीवित कराने संबंधी सचिव शिक्षा के शासनादेश का अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ उत्तराखंड ने कड़ा विरोध किया है।
संघ के प्रांतीय अध्यक्ष संजय बिजल्वाण एवं प्रांतीय महामंत्री महादेव मैठाणी ने संयुक्त बयान में कहा कि विगत कई वर्षों से अशासकीय विद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया पर सरकार एवं शासन द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोक लगाई जाती रही है। वर्तमान में भी भर्ती पर अघोषित रोक लगी हुई है। जो भी नियुक्तियां हो रही हैं, वे केवल माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि शासन की रोक के कारण अशासकीय विद्यालयों में समय पर भर्ती नहीं हो पाई, जिससे बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े हैं। शिक्षकों की कमी का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई और उनके भविष्य पर पड़ रहा है। ऐसे में रिक्त पदों को मात्र तीन माह में मृत घोषित किया जाना न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि पूरी तरह तर्कहीन भी है।
संघ ने स्पष्ट किया कि वह पूर्व में भी लिखित मांगपत्र के माध्यम से इस अवधि को कम से कम दो वर्ष किए जाने की मांग कर चुका है। साथ ही अशासकीय विद्यालयों में शिक्षक एवं कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया पर लगी अघोषित रोक को तत्काल हटाने की मांग दोहराई गई।
अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ ने यह भी मांग की कि अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक-कर्मचारियों एवं अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को भी राजकीय विद्यालयों के समान सभी सुविधाएं, अधिकार और लाभ प्रदान किए जाएं।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शासन ने जल्द ही इस विषय में सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो संगठन आंदोलनात्मक कदम उठाने के लिए बाध्य होगा।



