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आयुष मंत्रालय द्वारा “वैश्विक स्वास्थ्य में आयुर्वेद विज्ञान का विस्तार” पर संगोष्ठी का आयोजन

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आयुर्वेद: एक भारतीय पारंपरिक चिकित्सा विरासत के विश्व-स्तर पर विस्तार के लिए राजदूतों की गोष्ठी

11 दिसंबर, दिल्ली ब्यूरो * गढ़ निनाद समाचार

आज 11 दिसंबर को 61 देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और विभिन्न मिशनों के राजनयिकों ने नई दिल्ली “वैश्विक स्वास्थ्य में आयुर्वेद विज्ञान का विस्तार” संगोष्ठी में हिस्सा लिया. यह संगोष्ठी आयुष मंत्रालय द्वारा विदेश मंत्रालय के सहयोग से आज नई दिल्ली में आयोजित की गई. 

विदेश मंत्री डॉ0 सुब्रमण्यम जयशंकर और राज्य मंत्री, आयुष (आईसी) और रक्षा राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक ने इस अवसर पर लोगों का आभार व्यक्त किया।

आयोजन का उद्देश्य सभी राजदूतों / उच्चायुक्तों को आयुर्वेद में अग्रिम अनुसंधान की जानकारी देना था. साथ ही उपस्थित राजदूतों व राजनयिकों से अपेक्षा की गयी की ये लोग विभिन्न देशों में पुराने आयुर्वेद को एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के तौर पर स्थापित करने की संभावनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। और आशा की गयी कि इस संगोष्ठी के माध्यम से दुनिया भर में आयुर्वेद के प्रचार और मान्यता को प्राप्त करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा।

आयुष मंत्रालय विश्व स्तर पर आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय ने आयुष सेवाओं के साथ-साथ आयुष उत्पादों के लिए गुणवत्ता मानकों को मजबूत करने के लिए कई पहल की हैं। 

आयुष मंत्रालय ने विश्व में आयुर्वेद के सिद्धांतों को उजागर करने और विभिन्न देशों के राजनयिकों के बीच आयुर्वेद की क्षमता और प्रभावकारिता के बारे में जागरूकता पैदा करने इस संगोष्ठी का आयोजन किया है। 

इस मौके पर उपस्थित राजदूतों और उच्चायुक्तों को देश के आयुर्वेद प्रणाली के मजबूत बुनियादी ढाँचे और विनियामक प्रावधानों के बारे में बताया गया। 

निदेशक अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान डॉ0 तनुजा केसरी ने “आयुर्वेद में शिक्षा परिचय और अभ्यास” विषय पर व्याख्यान दिया। एम्स में एनएमआर के विभागाध्यक्ष प्रो रामा जयसुंदर ने “आयुर्वेद के पीछे विज्ञान और तर्क” विषय पर एक विस्तृत परिचय दिया। प्रो वैद्य के.एस. धीमान महानिदेशक, CCRAS ने आयुर्वेद में अनुसंधान के माध्यम से उत्पन्न साक्ष्य पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर एक हाल के शोध प्रकाशनों पर एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी. राजनयिकों व उपस्थित लोगों ने प्रदर्शनी में गहरी रुचि दिखाई और आयुर्वेद के विभिन्न साहित्य के बारे में जानकारी ली।


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