कविता: कोरोना “संकट”
नमन वीणा वादिनी
विषय — संकट
विधा — स्वतंत्र
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“संकट ”
जनजीवन संकट में प्रभु,
आया यह कैसा तूफान।
खबर न हुई वायु को भी,
खत्म हुई तब कितनी जान।
पृथ्वी पर यह संकट आया,
किसने किया यह जादू टोना।
सब हार गए जिसके आगे,
नाम बताया जब कोरोना।
घबरायें नहीं कोई भी जन,
कर लीजो घरेलू उपाय।
धुम्रपान तो बिल्कुल न करना,
तब कोरोना को सुलझाय।
घरेलू भोजन करिये सब,
फास्ट फूड न कोई खाना।
हाथ साफ बार -बार करिये,
तब इस बिमारी को भगाना।
इलायची, तुलसी, गिलोय का सेवन,
कर लीजिए इनका पान।
इस संकट में मददगार ये सब,
रखो बस इतना सा ध्यान।
कोरोना “संकट” कविता, नीलम डिमरी
यह कविता कोरोना “संकट” पर नीलम डिमरी द्वारा रचित और गायन किया गया है.
नीलम डिमरी
ग्राम – देवलधार
गोपेश्वर
चमोली, उत्तराखंड