विविध न्यूज़

हिंदी शोधार्थियों हिंदी की ताकत, और नई शिक्षा नीति रचनात्मकता एवं नई सोच पैदा करने वाली

Please click to share News

खबर को सुनें

गढ़ निनाद समाचार * 16 अगस्त 2020

हरिद्वार:  हिंदी माह के कार्यक्रमों की श्रृंखला में माँ वाणी के स्तवन के पश्चात उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में राष्ट्रीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ करते हुए आधुनिक ज्ञान-विज्ञान संकाय के डीन तथा आंतरिक गुणवत्ता अश्ववासन प्रकोष्ठ (IQAC) के निदेशक, प्रो० दिनेश चंद्र चमोला ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में शिक्षा की गुणवत्ता का अनुसरण, नालंदा व तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय की समृद्ध व गौरवशाली ज्ञान-परंपरा की ओर अग्रसर होने का अवसर है। वैश्वीकरण की दौड़ में भाषाओं पर मंडराते संकट पर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह गुणवत्तापूर्ण सृजन व अध्यापन से ही सम्भव है।

वैश्विक रूप में आज हिंदी एक समर्थ भाषा ही नहीं, अपितु बड़े बाजार के रूप में सबके सामने है। उन्होंने हिंदी की इस बहु-प्रयोजनीयता के समानांतर अनुसन्धान व अध्ययन-अध्यापन में मौलिकता, गुणवत्ता की चुनौती को ही श्रेष्ठतम विकल्प बताया। साथ ही देश के विभिन्न भागों से जुड़े हिंदी सेवियों, शोधार्थियों को हिंदी की ताकत कहा।

मुख्य वक्ता प्रोफ़ेसर केशरी लाल वर्मा, कुलपति- पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने कहा कि नई शिक्षा नीति रचनात्मकता और नई सोच पैदा करने वाली है। साथ ही इसमें इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया गया है कि शिक्षा में गुणवत्ता कैसे बढ़े, इसके लिए नई शिक्षा नीति में कई बड़े-बड़े प्रावधान किए गए हैं। इनमें शोध की गुणवत्ता के लिए के महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता के संवर्धन पर विशेष बल दिया गया है। साथ ही यह भी प्रावधान है कि नई शिक्षा नीति में हर बच्चे को शिक्षा का अवसर अवसर मिले। मातृभाषा का विकल्प इस नीति का प्रमुख उपहार है। विश्वविद्यालय केवल डिग्री के पर्याय न होकर, शिक्षा व मूल्य गढ़ने वाले हों । उनमें अच्छे नागरिक तैयार हों, विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो, वह ज्ञान कौशलों से परिपूर्ण हो। चारित्रिक गुणों की विशेषताओं से युक्त, वैज्ञानिक चिंतन, तार्किकता, यथार्थपरक ज्ञान के साथ रचनाशीलता को बढ़ाने वाले हों। कुल मिलाकर बालक के सर्वांगीण बौद्धिक व समेकित विकास को केंद्र में रखकर नई शिक्षा नीति का निर्माण हुआ है। उपयोगी व व्यावहारिक पाठ्यक्रमों पर भी बल दिया गया है। निश्चित ही इस शिक्षा नीति के जरिए भारत विश्व का नेतृत्व करेगा।

व्याख्यानमाला के अंत में प्रो0 वर्मा ने शिक्षकों तथा शोधार्थियों के प्रश्नों का जवाब दिया। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर देवी प्रसाद त्रिपाठी ने नई शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि इसमें हिंदी तथा संस्कृत तथा क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देना यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

देश कोने-कोने से वेबिनार में ऑनलाइन जुड़े लोगों का धन्यवाद करते हुए प्रो0 त्रिपाठी ने आयोजक विभाग तथा कार्यक्रम की प्रशंसा की। उन्होंने मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा की उपादेयता, महत्त्व को अत्यंत मनोवैज्ञानिक तरीके से विश्लेषित किया। उन्होंने नई शिक्षा नीति की सभी अपेक्षाओं को व्यावहारिक रूप से अमल करने पर बल दिया तथा कहा कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियो के समेकित विकास में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होगी। शिक्षा की गुणवत्ता ही देश की उन्नति के मार्ग है।

कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा विभाग से क्रमशः ऐसे उत्प्रेरक कार्यक्रम आयोजित करते रहने की अपील की। उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों को शोधार्थियों व विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।

कार्यक्रम का संचालन आधुनिक ज्ञान विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर दिनेश चंद्र चमोला ने किया। कार्यक्रम गूगल मीट के माध्यम से तकनिकी संयोजक श्री सुशील कुमार चमोली, असिस्टेंट प्रोफेसर कंप्यूटर विज्ञान के द्वारा संचालित किया गया। इस अवसर पर शोध छात्र – अनूप बहुखंडी व रेखा शर्मा आदि ने मुख्य अतिथि से प्रश्न पूछे जिनका उन्होंने विस्तार से उत्तर दिया। इसमें डॉ0 विंदुमति द्विवेदी, श्री सुशील कुमार चमोली, डॉ0 सुमन प्रसाद भट्ट, डॉ0 अरविंद नारायण मिश्र, डॉ0 उमेश शुक्ल, डॉ0 रामरतन खंडेलवाल, सुश्री मनमीत कौर, शोध छात्र – अनूप बहुखंडी, ललित शर्मा, रीना अग्रवाल, रेखा शर्मा, अनीता, सुनीता, दीपक रतूड़ी,आरती सैनी, रागिनी, धीरज आदि तथा भारी मात्रा अन्य श्रोता उपस्थिति रहे।


Please click to share News

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!