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किशोर उपाध्याय ने चारधाम सड़क परियोजना में हो रहे घोटालों को लेकर पीएम, सड़क परिवहन मंत्री और सीएम को लिखा पत्र

किशोर उपाध्याय ने चारधाम सड़क परियोजना में हो रहे घोटालों को लेकर पीएम, सड़क परिवहन मंत्री और सीएम को लिखा पत्र
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गढ़ निनाद न्यूज़* 16 सितम्बर 2020

नई टिहरी। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने प्रधानमन्त्री, केंद्रीय सड़क परिवहन मन्त्री और मुख्यमंत्री उत्तराखंड को चारधाम सड़क परियोजना में हो रहे गम्भीर भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और चिंतनीय पर्यावरणीय प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुये पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि यह कैसी सड़क बन रही है, जिस सड़क पर गुजरात का एक ठेकेदार मात्र चौड़ीकरण पर प्रति किलोमीटर दस करोड़ रुपये का गोल-माल कर रहा है।

उपाध्याय ने पत्र में कहा है कि “राजनीतिक स्वार्थ के लिए चारधाम परियोजना के नाम पर उत्तराखंड के जन, जल, जंगल, ज़मीन और हिमालयी पर्यावरण के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। परियोजना को मैदानी क्षेत्र के मानकों (DLPS) के अंतर्गत डिजाइन किया गया। जिसमे 10 मीटर काली सतह बनाना तय हुआ ताकि इस मार्ग को टोल-टैक्स के दायरे मेंलाकर भविष्य में तीर्थयात्रियों और जनता से टोल वसूला जा सके। 

कहा कि मैदानी क्षेत्र के इस मानक के तहत लगभग 700 हेक्टेयर से अधिक जमीन का अभी तक अधिग्रहण किया जा चुका है। पहाड़ों के भारी कटान से कई भूस्खलन ज़ोन पैदा हो कर नासूर बनते जा रहे हैं। चारा-चुगान, जल- श्रोतों और पैदल रास्तों को भारी क्षति पहुँची है और कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है।

उपाध्याय ने बताया कि वर्ष 2018 में खुद सड़क मंत्रालय की प्लानिंग ज़ोन ने इस DLPS मानक के दुष्प्रभावों को पहचान कर पहाड़ों में इसे संशोधित कर Intermediate कर दिया पर चारधाम पर पूर्व की भांति काम जारी रखा। वहीं DLPS मानक के तहत एक किलोमीटर सड़क के चौडीकरण का खर्चा 8-10 करोड़ रुपये रखा गया। इतनी भारी भरकम राशि के बावजूद हाइवे खस्ताहाल हो रहे हैं और कई डेंजर ज़ोन बन गए हैं। इसका कारण है भारी तादात में पहाडी कटान।  ग्रामीण क्षेत्र में बनने वाली नयी सड़क की कीमत एक करोड़/ किलोमीटर भी नहीं है।

उन्होंने कहा कि जब केंद्र ने 2018 में मानक दुरस्त किये तो चारधाम परियोजना पर पहाडी कटान शुरूआती दौर में था और यह 3-4 प्रतिशत भी नहीं हुआ था, अब यह 70 प्रतिशत हो गया है वह भी पुराने मानकों पर, क्यूँ नहीं इसे तभी दुरस्त कर दिया गया ? 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा होता है कि स्थापित वन अधिनियम, पर्यावरणीय मानकों का भी सरे आम उल्लंघन हुआ जिसके चलते पर्यावरण और जान-माल की भारी क्षति हुई। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में मुद्दा जाने के कारण केंद्र स्वयं परियोजना की चौड़ाई 10 से 7 मीटर करने का प्रस्ताव लेकर आया था। हालांकि कोर्ट ने वर्ष 2018में तय मानकों के अंतर्गत ही सड़क बनाने का निर्णय दिया। चारधाम मार्ग पर तीर्थयात्रियों और स्थानीय जनों के उपयोग के लिए सड़क मार्ग के साथ-साथ एक 5 फीट के पैदल फूटपाथ की सिफारिश की है जो स्वागत योग्य है।

समिति ने यात्रा मार्ग को टोल मुक्त रखने की सिफारिश और ग्रामीणों के रास्ते, पानी के श्रोत तथा अन्य क्षतिग्रस्त सुविधाओं को तत्काल दुरस्त करने की सिफारिश की है, जो स्वागत योग्य है। सेना वाहनों की सुगम आवाजाही के लिए भी यह मार्ग सर्वथा उचित है। यदि यह निर्णय 2018 में ही लागू हो जाता तो देश का हजारों करोड़ रुपये और हिमालय की अमूल्य वन-सम्पदा नष्ट होने से बचती। सवा लाख से ज़्यादा पेड़ काटे गये ,दस हज़ार से ज़्यादा पानी के स्रोत ख़त्म हुए और Wildlife को गम्भीर ख़तरा पैदा हो गया है।

उपाध्याय ने कहा कि देश का धन, जनता के जान-माल और हिमालयी पर्यावरण से खिलवाड़ हेतु परियोजना कार्यों की जांच और दोषियों की जवाबदेही तय हो। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार सुरक्षित रूप से सरकार कार्य पूरा करवाए।   


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Govind Pundir

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