दुर्गा से डरी शिव (?) सेना
विक्रम बिष्ट*
जिन लोगों को राम और रावण मिथक के पात्र लगते हैं उन्हें मुंबई की शिवसेना की ताजी करतूत पर गौर करना चाहिए।
रावण शिव भक्त था। शिव कल्याण के देवता हैं। अहंकार छू नहीं सकता। रावण हो या दुर्योधन या हिटलर ये सभी अहंकार की प्रतिमूर्ति भर रहे हैं। रावण ने हिमालय से कैलाश को उखाड़ने की कोशिश की थी। वह उसके अंत की भविष्यवाणी थी। पिता ऋषि थे। लेकिन संस्कार नाना राक्षस राज शुभाली के थे।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत का कानूनी पहलू चाहे जो हो,अवसाद तो सच था। यह अवसाद मनोरंजन के लोकप्रिय खेल के नाम पर आम जनता का खून पीने वाले सिनेमा माफिया की काली करतूत का दर्दनाक नतीजा है। ये हिन्दी पर पलते हैं और हिंदी प्रांतों से घृणा करते हैं। शिव सेना उनका ही प्रतिनिधित्व करती है।
ये सफेदपोश लोग देश द्रोहियों की सभी नस्लों तथा आतंक के पोषकों ड्रग एवं अन्य जघन्य अपराधों में संलिप्त लोगों के तलुवे चाटते हैं। सुशांत की मौत पर धर्मेंद्र की उस टिप्पणी को याद करें जिसमें उन्होंने फिल्मी दुनिया को क्रूर कहा था। मुंबई से धकियाये गये मजदूरों को भी याद करें। करण जौहर और ही-ही खी-खी करने वाले सैफ अली खान, सलमान खान किस भारतीय सभ्यता के प्रतीक हैं? उनके जीन में एक्टिंग है और बहुत कुछ भी। उनको और उनके परिवार वालों को मुबारक।
कंगना रनौत ने कहा मैं किसान की बेटी हूं। इतना कहना था कि उन लोगों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। अब यदि केंद्र सरकार इस खतरनाक रावणी मायाजाल को खत्म करना चाहती है तो अच्छा अवसर है। कंगना ने वही किया जो पहाड़ का हाड़ करता है। अपना, अपने देश और समाज के स्वाभिमान की रक्षा के लिए लड़ना। हिमालय और सागर परस्पर हैं। हिम पुत्री कंगना तुझे सलाम।