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गढ़ कविता- “वोट देण जरूर जांण”

गढ़ कविता- “वोट देण जरूर जांण”
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-डॉ0 सुरेंद्र दत्त सेमल्टी

अठारह साल का ह्वैग्यों जब,

हम भी वोट दयोला अब।

अधिकार छ युत हमारू,

सरकार बनौणकु सारू।

क्षेत्र भाई भतीजाबाद,

देश-प्रेदश करौंदा बर्बाद।

क्वी देंदा वोट रुप्पयों खैक,

रग बग कर्दा वखम जैक।

दारू पेंदा क्वी छक्कीक,

मुक़रि जांदा साफ खै-पीक।

जै थौ दिन्यूँ भारी सारू,

भुली जांदू जब पेन्दू दारू।

अपणो करदा क्वी तिर्प-ताण,

योग्य अयोग्य की नीं पछाण।

भलु मनखि कबि जांदू हारि,

यत बात नख़री भारी।

कनकै ह्वाण तब विकास,

होन्दू रुप्यों कु खालि नास।

योग्य मनखि देण वोट,

कबि नई खाण मुर्गा नोट।

योग्य जु जीतिक जालु,

छक्कीक विकास करालू।

वोट देण जरूर जाण,

हमुन इनि कसम खांण।

सुणा मैं छौ ब्वन्यु जनु,

सब्बि लोग करा तनु।

फेर देख्यान चमत्कार,

ब्वल्या भलि बणी सरकार।


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Govind Pundir

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