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तीसरा विकल्प या सत्ता में हिस्सेदारी (तीन)

तीसरा विकल्प या सत्ता में हिस्सेदारी (तीन)
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विक्रम बिष्ट

गढ़ निनाद समाचार* 19 जनवरी 2021

नई टिहरी। कांग्रेस छोड़कर समिति में शामिल हुए अकेले बड़े जनाधार वाले नेता सतपाल महाराज थे। उनको इंद्रमणि बडोनी ने अपने साथ संरक्षक का दायित्व सौंपा था। महाराज की निजी ताकत से समिति के कार्यक्रमों का विस्तार हुआ। कांग्रेस के विभाजन के बाद सतपाल महाराज तिवारी कांग्रेस के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष बने। तिवारी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ा और नैनीताल पौड़ी सीट पर क्रमशः नारायण दत्त तिवारी और महाराज चुनाव जीत गए। मजबूत विकल्प के अभाव में टिहरी और अल्मोड़ा सीट पर भाजपा के मानवेंद्र शाह और बच्ची सिंह रावत पुनः निर्वाचित हुए।

तिवारी कांग्रेस का फिर कांग्रेस में विलय हो गया। उक्रांद विकल्प बनते बनते रह गया। उत्तराखंड राज्य विधानसभा के पहले चुनाव में उक्रांद, भाकपा और मुन्ना सिंह चौहान की नवगठित उत्तराखंड जनवादी पार्टी के बीच गठबंधन के प्रयास भी असफल रहे। उक्रांद महज 4 सीटों पर सिमट गया। चौहान विकास नगर में महज 56 मतों से हार गए। भाकपा के  दिग्गज नेता कमलाराम नौटियाल गंगोत्री सीट पर लगभग 600 मतों से हारे। भाजपा-कांग्रेस के सशक्त विकल्प का एक बढ़िया मौका जनता के हाथ से निकल गया ।    जारी…


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Govind Pundir

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