उत्तराखंड राज्य आंदोलन, भुलाये गये नींव के पत्थर-7
*घुमेटीधार इंटर कॉलेज*
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 20 फरवरी 2021
नई टिहरी। विनकखाल आंदोलन के बाद उत्तराखंड जन परिषद ने घनसाली स्थित भिलंगना ब्लॉक मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। उस दिन घुमेटीधार इंटर कॉलेज में सांकेतिक तालाबंदी का भी कार्यक्रम था। कॉलेज के छात्रों ने कक्षा बहिष्कार करने की सहमति दी थी।
उजप कार्यकर्ता और छात्र आंदोलनकारी जब घुमेटीधार पहुंचे तो कोई छात्र बाहर नहीं निकाला। एक स्थानीय अध्यापक लगातार निगरानी कर रहे थे। एक स्थानीय नेता भी वहां मौजूद थे। तालाबंदी का कार्यक्रम रद्द हो गया। कॉलेज के छात्रों ने बाद में बताया कि उन पर कुछ शिक्षकों और अभिभावकों का दबाव था कि वे बहिष्कार और तालाबंदी में शामिल नहीं हों।
उन्होंने बताया कि शिक्षा सत्र शुरू होते ही हर साल यहां बैठकें होती हैं। शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने और विषय खोलने के लिए शासन में लखनऊ जाने के नाम पर चंदा इकट्ठा किया जाता है। लेकिन..। जिन्हें इंगित कर कहा गया था यहां वह लिखा नहीं जा रहा है। लेकिन निहितार्थ साफ है। आज भी ऐसे लोग हैं जो उत्तराखंड राज्य के लाभ भोग रहे हैं लेकिन खुलेआम कहते हैं कि उत्तराखंड राज्य नहीं बनता तो अच्छा होता। कुछ तो उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश में मिलाने के आंदोलन में शामिल होने को तैयार हैं। स्वयं पहल नहीं कर सकते, मजबूरी है। जी, उत्तराखंड राज्य की नींव में ‘चिफल ढुङ्ग और बुसिल ढुङ्ग‘ भी बहुतायत में हैं। इसलिए यह इमारत ठीक से बनी नहीं पा रही है,जिसके लिए रणजीत विश्वकर्मा जैसे होनहार पर्वतारोहियों ने अपना कैरियर दांव पर लगा दिया था। टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून सहित कई शहरों में परिषद(उजप) ने जबरदस्त प्रदर्शन किए। अग्रवाल धर्मशाला से डीएम आवास तक देहरादून में उजप के मशाल जुलूस ने हड़कंप मचा दिया था। उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन प्राप्त करने के लिए तत्कालीन डीएम सुश्री विभा पुरी स्वयं आवास से बाहर आई थी।
टिहरी में भी अचानक मशालें चल पड़ी। पुलिस का दम फूल गया। कहा भाई लोगों इतना तेज क्यों दौड़ते। हां, एलआईयू को वे मसाले नहीं दिखी। उत्तरकाशी जिला बनने के बाद टिहरी सीमांत जिला नहीं रहा इसलिए शायद। जारी…