उत्तराखंड राज्य आंदोलन, भुलाये गये नींव के पत्थर-15
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 11 मार्च 2021।
टिहरी में भी छात्रों के अनेक गुट थे। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान इनके नेताओं के बीच आगे रहने की स्वाभाविक स्पर्धा रहती थी। लेकिन आरक्षण विरोधी छात्र बड़ी तेजी से जय उत्तराखंड के रंग में रंग गए थे।
एक सितंबर को खटीमा और 1 दिन बाद 2 को मसूरी गोली कांड के बाद जनमानस पूरी तरह सरकार विरोधी हो गया था। जगह-जगह आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें आम बात हो गई थी। टिहरी में तब सक्रिय रहे रवि सेमवाल बताते हैं कि 1 दिन लगभग तीन दर्जन छात्रों का जुलूस घंटा घर से निकल रहा था तभी पुलिस फोर्स आ धमकी। पुलिस हमे पकड़ कर ट्रक में बिठाकर सिमलासू ले गई। हमको दिन भर वहां एक भवन में बिठा कर रखा और शाम को छोड़ दिया।
उन छात्रों में एक था जय विजेंद्र सिंह। जो 1996-97 में टिहरी परिसर छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। वह उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्य भी थे। जय विजेंद्र की कम उम्र में मौत हो गई थी।
*धनपाल बिष्ट* भी 1990 के दशक की शुरुआत में उक्रांद से जुड़कर उत्तराखंड राज्य आंदोलन में शामिल हो गया था। तब से वह घनसाली से लेकर टिहरी, पौड़ी, दिल्ली सहित तमाम जुलूस प्रदर्शनों में शामिल हुए थे। जारी…