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सुप्रीम कोर्ट ने कहा सोशल मीडिया पर शिकायतों को न दबाएं, हमें ये आवाजें सुनने दें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा सोशल मीडिया पर शिकायतों को न दबाएं, हमें ये आवाजें सुनने दें
Supreme Court of India
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गढ़ निनाद समाचार, 30 अप्रैल। ग.नि.स. ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कोरोना महामारी की दूसरी खतरनाक लहर के चलते ऑक्सीजन की कमी और व्यवस्था में खामियां पाए जाने को लेकर फिर सुनवाई हुई। 

अदालत ने सरकार से कहा “हम यह बहुत साफ कह देना चाहते हैं कि अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज करवाए तो यह नहीं कहा जा सकता है यह जानकारी गलत है। हम नहीं चाहते कि इस तरह की सूचनाओं को दबाया जाए। हमें ये आवाजें सुनने दें। अगर ऐसी शिकायतों पर एक्शन लेने की नौबत आई तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे।”

जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र से फिर पूछे सवाल

सुनवाई के दौरान जस्टिस डी0वाई0 चंद्रचूड़ ने वैक्सीनेशन और ऑक्सीजन को लेकर केंद्र सरकार से फिर सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या वैक्सीन अलॉटमेंट के लिए एक राज्य पर दूसरे राज्य को प्राथमिकता दी जा रही है?

ऑक्सीजन टैंकर्स और सिलेंडर्स की सप्लाई को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं? आपको कितनी ऑक्सीजन सप्लाई की उम्मीद है?  निरक्षर और ऐसे लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए क्या व्यवस्था है, जिनके पास इंटरनेट नहीं है? केंद्र कहता है कि 50% वैक्सीन राज्यों को मिलेगी, वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स इस मामले में निष्पक्षता कैसे बरतेंगे? और 18 से 45 वर्ष के बीच की कितनी आबादी है, केंद्र इसका स्पष्ट जवाब दे?

सवाल भी पूछे और निर्देश भी दिए

ऑक्सीजन और बेड्स की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गहरी चिंता जाहिर की है। अदालत ने उन शिकायतों के बारे में भी केंद्र को निर्देश दिया, जो लोग सोशल मीडिया पर उठा रहे हैं। अदालत ने कहा कि ऐसी शिकायतों को दबाया न जाए। वैक्सीनेशन को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछे और केंद्र सरकार को निर्देश भी दिए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘निजी मैन्युफैक्चरर्स ये तय नहीं करेंगे कि किसे, कितनी वैक्सीन दी जाए।’

हालात गम्भीर हैं..

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि हालात बेहद गंभीर हैं। अब तो डॉक्टर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स को भी बेड नहीं मिल रहे हैं। अब होटलों, मंदिरों, चर्चों और दूसरी जगहों को खोल दिया जाए, ताकि इन्हें कोविड सेंटर्स में तब्दील किया जा सके।

शिकायत को न दबाएं, आने दें

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही शिकायतों पर उन्होंने कहा कि एक नागरिक और एक जज के तौर पर ये मेरे लिए चिंता का विषय है। अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत रखता है तो हम नहीं चाहते कि इस जानकारी को दबाया जाए। हम तक ये आवाजें आने दीजिए। ये नहीं मान लेना चाहिए कि सोशल मीडिया पर उठाई गई शिकायत झूठी है किसी नागरिक को बेड या ऑक्सीजन चाहिए और उसे प्रताड़ित होना पड़ता है तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे।

कहां कितनी वैक्सीन देनी है यह मैन्युफैक्चरर्स नहीं करेंगे तय

सवाल किया कि वैक्सीनेशन के लिए निरक्षर और ऐसे लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए क्या व्यवस्था है, जिनके पास इंटरनेट नहीं है? 18 से 45 वर्ष के बीच की आबादी का वास्तविक आंकड़ा क्या है? केंद्र कहता है कि 50% वैक्सीन राज्यों को मिलेगी, वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स इस मामले में निष्पक्षता कैसे बरतेंगे? किस राज्य को, कितनी वैक्सीन मिलेगी, ये प्राइवेट वैक्सीन मैन्यूफैक्चरर्स नहीं तय करेंगे। उन्हें ये छूट नहीं दी जानी चाहिए। 

दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई पर पूछा सवाल 

दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई पर सवाल पूछा कि ऑक्सीजन टैंकर्स और सिलेंडर्स की सप्लाई को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं? आपको कितनी ऑक्सीजन सप्लाई की उम्मीद है? हमारी चेतना बुरी तरह से हिली हुई है। अगर केंद्र चुपचाप बैठा रहा और तुरंत कोई कदम नहीं उठाया तो हमारे सिर पर 500 मौतों की जवाबदेही होगी। हम केंद्र की आलोचना नहीं कर रहे हैं और न इस पर बात कर रहे हैं कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी दिल्ली सरकार की अक्षमता की वजह से है। केंद्र को ही जोर लगाना होगा, क्योंकि दिल्ली के लिए आपकी खास जिम्मेदारी बनती है।

कल से क्या बदलाव होंगे बताएं…

दिल्ली की हकीकत यह है कि वहां वाकई में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। गुजरात और महाराष्ट्र में भी यही स्थिति है। सरकार बताए कि इस स्थिति में कल से क्या बदलाव होगा?

स्वास्थ्य सेवाओं पर कहा कि 70 साल के दौरान हमें जो हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिला है, वो नाकाफी है। हमारा हेल्थकेयर सेक्टर टूटने की कगार पर आ गया है। अब रिटायर्ड डॉक्टरों और अधिकारियों को दोबारा ड्यूटी पर रखना चाहिए। केंद्र को कोरोना पर की गई तैयारियों के बारे में बताने के लिए पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिखाने की इजाजत दी जाती है।


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Govind Pundir

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