उत्तराखंड आंदोलन—*लाल घाटी के लाल*
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार।
नई टिहरी, 6 अप्रैल 2021। टिहरी का राजनीतिक इतिहास बहुत रोचक रहा है। यह जिला यूपी के जमाने में सवा दो विधानसभा क्षेत्रों को समेटे हुए था। जी हां, जौनपुर विकासखंड उत्तरकाशी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था।
जिले के प्रतापनगर, जाखणीधार क्षेत्र को कभी लालघाटी कहा जाता था। यह पहचान दी थी कामरेड गोविन्द सिंह नेगी ने। वह उत्तर प्रदेश में उत्तराखंड के पहले कम्युनिस्ट विधायक थे। 1969, 74 और 77 में लगातार तीन चुनाव जीते थे। 1977 की जनता पार्टी लहर में उन्होंने बचन सिंह नेगी को हराया था। स्वर्गीय बचन सिंह नेगी चंबा के ब्लॉक प्रमुख और नए टिहरी के संस्थापक रहे हैं।
1980 में गोविंद सिंह नेगी कांग्रेस के खुशहाल सिंह रांगड़ से हार गए थे। रांगड़ टिहरी राज्य की अंतरिम संस्कार में लोक निर्माण मंत्री रहे थे। संयोग देखिए कि टिहरी ने फिर एक कम्युनिस्ट विधायक चुनकर लखनऊ भेजा- विद्यासागर नौटियाल। उनके बाद फिर उत्तराखंड से कोई वामपंथी विधायक नहीं बना। राज्य की पहली विधानसभा के चुनाव में गंगोत्री से उत्तरकाशी के शेर कमला राम नौटियाल बनते बनते रह गये, नई नवेली उत्तराखंड जनवादी पार्टी की अति महत्वाकांक्षा के कारण।
स्वर्गीय विद्यासागर नौटियाल बड़े साहित्यकार थे। इन सब से बढ़कर कम्युनिस्ट नेताओं का उत्तराखंड राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान है। स्वर्गीय कमला राम नौटियाल की कर्मभूमि उत्तरकाशी रही है। वह मूलतः टिहरी (प्रतापनगर) के थे।
जून 1967 में रामनगर सम्मेलन में दयाकृष्ण पांडे और गोविंद सिंह मेहरा की अगुवाई में गठित पर्वतीय परिषद से लेकर राज्य आंदोलन के तमाम पड़ाव में इन तीनों वामपंथियों नेताओं की प्रमुख उपस्थिति दर्ज रही है । जारी ..