त्रिस्पर्शा योग पर विशेष: मोहिनी एकादशी में ‘त्रिस्पृशा’ का दुर्लभ संयोग
हरिद्वार, 23 मई 2021 । गढ़ निनाद ब्यूरो।
आज “रविवार” विक्रम संवत 2078 की वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी में “त्रिस्पर्शा” का दुर्लभ संयोग पड़ रहा है। घर के सभी सदस्यों को यह एक दिन का व्रत अवश्य करना चाहिए क्योंकि जिंदगी मे ऐसे अवसर बार-बार नहीं आते ।
पद्मपुराण के अनुसार यदि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक थोड़ी सी एकादशी, द्वादशी, एवं अन्त में किंचित् मात्र भी त्रयोदशी हो, तो वह ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ कहलाती है ।यदि एक ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ को उपवास कर लिया जाय तो एक सहस्त्र एकादशी व्रतों का फल (लगभग पुरी उम्रभर एकादशी करने का फल )प्राप्त होता है ।
‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ का पारण त्रयोदशी मे करने पर 100 यज्ञों का फल प्राप्त होता है । प्रयाग में मृत्यु होने से तथा द्वारका में श्रीकृष्ण के निकट गोमती में स्नान करने से, जो शाश्वत मोक्ष प्राप्त होता है, वह ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ का उपवास कर घर पर ही प्राप्त किया जा सकता है, ऐसा पद्म पुराण के उत्तराखंड में ‘त्रिस्पृशा-एकादशी’ की महिमा में वर्णन है !
विशेष प्रार्थना:—–भले ही कोई कोई एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं ।लेकिन यह बड़ा ही दुर्लभ संयोग बना है ।राजा अम्बरीष के समय का इसे कोई भी हाथ से जानें ना दे । करीब 200 वर्ष बाद यह संयोग प्राप्त हुआ है ।इसे ना खोएं वैसे भी बहुत खराब समय चल रहा है ।इसे अवश्य करें । प्रार्थना है अन्यथा ना लेवें ।
–नृसिंह पीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित स्वामी रसिक महाराज ज्योतिर्मठ बद्रिकाश्रम हिमालय