आपसी संबंधों की नींव है अपनापन, परवाह और वक्त — नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
हरिद्वार, 2 जून 2021। गढ़ निनाद समाचार। कोरोना काल में एकांतवास पर चल रहे नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने वर्चुअल प्रवचन करते हुए बताया कि अपनापन, परवाह और थोड़ा सा वक्त, ये वो दौलत है जो आपके अपने आपसे चाहते हैं। अपनेपन के बिना रिश्तों का अहसास नहीं हो सकता है। अपनापन किसी भी संबंध के लिए एक प्राणवायु के समान ही होता है। अपनेपन से अपने तो अपने, पराये भी अपने बन जाते हैं। इसलिए किसी भी संबंध को मजबूत बनाने के लिए अपनेपन की प्रथम आवश्यकता होती है।
परवाह – बिना परवाह के कोई भी संबंध ज्यादा दिन टिक नहीं सकता। कोई भी संबंध बनाना मुश्किल नहीं होता मगर उस संबंध को निभाना जरूर मुश्किल होता है। हमें क्या अच्छा लगता है ये महत्वपूर्ण नहीं अपितु मेरे अपनों को क्या अच्छा लगता है और उनकी खुशी में अपनी खुशी देखना ही उनकी परवाह करना भी है। मधुर और टिकाऊ संबंध प्रभाव दिखाने से नहीं अपितु परवाह करने से बनते हैं।
अपनापन और परवाह के बाद संबंधों को जीवित रखने के लिए जिस चीज की सबसे अधिक जरूरत होती है, उसका नाम है वक्त। हमारे मृतप्राय संबंधों में प्राण लौट सकते हैं बशर्ते हम समय – समय पर थोड़ा सा समय एक दूसरे के साथ बिताना अथवा एक दूसरे के लिए निकालना सीख जाएं! अपनेपन से संबंध बनते हैं, परवाह करने से संबंध निभते हैं और थोड़ा वक्त निकालने से संबंध आजीवन टिकते हैं।