बुधू ** बताया बाखरा-पकड़ाया कुखड़ा **
नई टिहरी। इधर बद्री केदार की धरती पर पुष्कर जी की स्थापना। उधर विद्वान अटकल बाजों ने बताया कि दिल्ली में भी मोदी जी उत्तराखंड को छप्पर फाड़ कर देने वाले हैं। अजय भट्ट, अनिल बलूनी या इनमें से एक की बड़ी कुर्सी पक्की है, निशंक तो हैं ही। बड़े भाई के हठयोग से उत्तराखंड रोडवेज के लिए यूपी के दरवाजे कल तक बंद थे। शायद आज से खुल गए हैं, 62 दिन बाद।
इस बीच तो अपनी सरकार ने पौंटा साहिब वाला रास्ता निकाल लिया था। बीच में करनाल हरियाणा की सैर। पानी मुंह में आ गया। बुधू का अदृश्य मन पल भर में दिल्ली लैंड कर सकता है। इस देश में 4 लोग ऐसे हैं जिनको तेल की कीमतें बढ़ने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तीन दाढ़ी वाले और एक आपका बुद्धू ।
वैसे तो बहुत है, जो बाबाकृत मोदी फिकर नॉट गोलियां खाकर चैन से हैं। उनका मानना है कि पेट्रोल-डीजल का महंगा होना राष्ट्रवाद है और इसमें तैरकर मनुष्य भवसागर पार कर जाता है।
मजे-मजे से बुधू दिल्ली पहुंचा। भगवा फट्टा तो उत्तराखंड से ले गया था। इस बार भगवा झोली भी साथ में ले ली। ईष्ट मित्रों ने भगवा अटैची सुझाई थी, कि तीन नहीं तो दो तो पक्के हैं। खाली हाथ आना-जाना शोभा नहीं देता। सुदामा की तरह बुधू भी हिचकिचाया। इस मामले में बुधिया दूरदृष्टि वाली है।
बोली त्रिवेंद्र, तीरथ गए थे उल्टे पांव लौटे। ऐसा ना हो कि जिस बस से जा रहे हो वह रास्ता भूल कर गांधीनगर दौड़ पड़े। बुधिया ने कुछ नोट कुरते की जेब में चुपके से डाल दिए। बिना कहे सावधान कर रही थी कि हरिद्वार के रास्ते नहीं जा रहे हो पर बाबा अंतर्यामी हैं। कहीं इन नोटों पर नजर पड़ जाए और इन्हें भी बैन करवा दें।
तभी देववाणी हुई। अपने निशंक जी परम पद से मुक्त हो गए हैं । ये बहुगुणी लोगों का काम था। एक ना ना करते पदम श्री लेने गए थे। राष्ट्रपति भवन के गेट बंद देखकर बुध बनकर सीढ़ियों पर त्याग का फोटो खिंचवा त्यागमूर्ति घोषित हो गए खुद ही…। दूसरे भांजे संजय को पचे नहीं। हिमालय जैसे स्वाभिमानी हुए। निशंक के शंख से मोदी जी को डर नहीं लगता। फिर भी आस थी कि चलो अजय ही सही। शिक्षा मंत्रालय की स्मृति में वह कुछ अच्छे ही साबित होते!
लेकिन, बुरा हो चारण पुराण वालों का। उनकी नजर लगी और बाखरा दिखाकर कुखड़ा पकड़ा दिया। उत्तराखंड ही उत्तणदंड हो गया। बुधू ने लंबी सड़क पकड़ी, देर से ही सही लौट, आया आपका , बुधू।