गज़ब: आठ वर्षों से नहीं मिला वेतन, कार्मिक ने देस्तावेज़ों में हेराफेरी का लगाया आरोप
नई टिहरी। वर्ष 2013 में हिल्ट्रॉन के 20 भंडारी कार्मिकों का प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय हल्द्वानी में समायोजन किया गया था। उनमें से एक भंडारी पद पर तैनात श्री आनंद प्रकाश घिल्डियाल को विभाग की लापरवाही एवम देस्तावेज़ों में हेराफेरी के चलते लगभग 8 वर्षों से वेतन भुगतान नहीं किया गया है। उक्त कर्मचारी न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है। बताया कि वह शासन-प्रशासन से लेकर तमाम विभागीय अधिकारियों ही नहीं मंत्री संतरियों तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं।
घिल्डियाल का कहना है कि इस संबंध में नैनीताल हाईकोर्ट में दायर रिट याचिका संख्या 223 एवं 746 में मिथ्या साक्ष्य शपथपत्र के साथ निदेशालय द्वारा मूल तैनाती आदेश के क्रम संख्या 6 में उनका ( आनन्द प्रकाश घिल्डियाल) और 7 में ए0 के0 बहुखंडी वाली प्रति के बजाय अलग से जोड़े गए नाम वाली प्रति पेश कर कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया तथा अपीलार्थी को न्यायिक प्रक्रिया से वंचित किया गया।
घिल्डियाल ने बताया कि न्यायालय का सम्मान करते हुए उन्होंने बिना कार्यालय आदेश के 15 मई 2017 को आईटीआई थलीसैंण में योगदान आख्या प्रस्तुत की। इससे पूर्व 7 सितंबर 2013 को प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय हल्द्वानी में योगदान आख्या प्रस्तुत की तथा 6 नवंबर 2013 तक कार्यालय आदेश तैनाती स्थलों की बाध्य प्रतीक्षा हेतु हल्द्वानी में ही कार्यरत रहा। लेकिन विभाग द्वारा 2013 से अब तक लगभग 8 वर्षों का वेतन भुगतान नहीं किया गया है।
बता दें कि उप निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय हल्द्वानी द्वारा अपने कार्यालय आदेश पत्रांक 7456-63 दिनांक 2 नवंबर 2013 के द्वारा 20 भंडारी कर्मियों को विभिन्न राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में स्वीकृत भंडारी पदों पर समायोजित करने का आदेश जारी किया गया था। उस समय मूल आदेश कर्मियों को हस्तगत नहीं कराया गया और 6 नवंबर 2013 को एक प्राप्ति रसीद में उनसे हस्ताक्षर कराए गए।
कार्मिक आनन्द प्रकाश घिल्डियाल ने विभागीय मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को भी 13 जुलाई 2021 निदेशालय को एक पत्र पंजीकृत डाक से भेजा है, जिसमें उन्होंने कुछ अधिकारियों पर मूल तैनाती कार्यालय आदेश संख्या 7456-63 दिनांक 2 नवंबर 2013 में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है। क्योंकि मूल आदेश में जिन कर्मियों को तैनाती स्थल आवंटित किए गए थे उनमें बाद में छेड़छाड़ करते हुए एक और सूची जोड़ी गयी है जिसमें दो के हस्ताक्षर हैं, लेकिन पद नाम का जिक्र तक नहीं है। साफ है कि मूल आदेश की आड़ में कुछ चहेतों को सुविधा जनक जगहों पर तैनाती देने का प्रयास किया गया है।
घिल्डियाल ने आरोप लगाया कि निदेशालय का मूल प्रेषण आदेश-7456- 63 दिनांक 2 नवंबर 2013 और 6 नवंबर 2013 की प्रति निदेशालय की नियुक्ति समायोजित पत्रावली में उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इसकी पुलिस रिपोर्ट के साथ साथ आवश्यक कार्यवाही की जानी चाहिए।