औषधियों में विराजमान नवदुर्गा, घर में 9 पौधे अवश्य लगाएं
 
						ऋषिकेश। उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल की तरफ से नवरात्रि में एक बहुत महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है उनके अनुसार देवी भगवती प्रकृति स्वरूपा है पुरुष और प्रकृति से ही संसार की उत्पत्ति होती है इसलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ पौधों को लगाया जाना बहुत आवश्यक है।
प्रेस को जारी बयान में डॉक्टर घिल्डियाल में कहा कि दुर्गा की नवरात्रि मैं यदि कुछ विशेष पौधों को लगाया जाता है अथवा उनका पूजन किया जाता है तो साक्षात प्रकृति स्वरूपा देवी की पूजा हो जाती है। उन्होंने कहा कि मारकंडे ऋषि को ब्रह्मा जी ने जो देवी कवच सुनाया उसमें स्पष्ट उल्लेख है उन पौधों का-
1. शैलपुत्री (हरड़)
कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है।
2. ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)
ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है।
3. चंद्रघंटा (चंदुसूर)
यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं।
4. कूष्मांडा (पेठा)
इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है।
5. स्कंदमाता (अलसी)
देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है।
6. कात्यायनी (मोइया)
देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।
7. कालरात्रि (नागदौन)
यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है।
8. महागौरी (तुलसी)
तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है।
9. सिद्धिदात्री (शतावरी)
दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है।
उल्लेखनीय है कि आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ज्योतिष के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार प्रयासरत हैं।
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