उत्तराखंडविविध न्यूज़हेल्थ & फिटनेस

उत्तराखंड का स्वादिष्ट देवफल है काफल

Please click to share News

खबर को सुनें

भरत गिरी गोसाई

राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा, टिहरी गढ़वाल के वनस्पति विज्ञान विभाग मे कार्यरत सहायक प्राध्यापक भरत गिरी गोसाई ने काफल की उपयोगिता के बारे मे विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि उत्तराखंड राज्य मे कई प्राकृतिक औषधीय वनस्पतियां पाई जाती है, जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही अधिक फायदेमंद होती हैं। उन्ही मे से एक है काफल।

काफल एक ऐसा जंगली फल है जो पहाड़ी इलाको मे खूब पाया जाता है, यह न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि इसकी गुणवत्ता भी बहुत है। काफल हिमालय का सबसे स्वादिष्ट फल है। स्वाद मे खट्टा-मीठा व चटक लाल रंग इसे सभी का पसंदीदा फल बनाता है।काफल का वानस्पतिक नाम मिरिका एस्कुलेन्टा है। काफल मिरीकेसी कुल का सदस्य है। भारत के विभिन्न प्रांतो मे काफल को भिन्न-भिन्न नामो से पुकारा जाता है। जैसे- संस्कृत मे कुम्भिका, श्रीपर्णिका, कुमुदिका, भद्रवती, रामपत्री, अंग्रेजी मे बॉक्स मिर्टल्, बे-बैरी, उर्दू मे कायफल, गुजराती मे कारीफल तथा पंजाबी मे कहेला इत्यादि। काफल मध्य हिमालय के 1300 मीटर से 2100 मीटर तक की ऊंचाई वाले क्षेत्रों मे पाए जाने वाला एक सदाबहार वृक्ष है। गर्मी के मौसम मे काफल के पेड़ पर अतिस्वादिष्ट फल लगते है, जो देखने मे शहतूत की तरह लगते है। मार्च के महीने से काफल के पेड मे फल आने शुरू हो जाते है और अप्रैल महीने की शुरुवात के बाद यह हरे-भरे फल लाल हो जाते है। काफल के अनेक औषधीय गुण है। यह फल अपने आप मे एक जड़ी-बूटी है। चरक संहिता मे भी इसके अनेक गुणकारी लाभो के बारे मे वर्णन किया गया है। काफल के छाल, फल, बीज, फूल सभी का इस्तेमाल आयुर्विज्ञान मे किया जाता है। काफल विटामिन-सी, पोटेशियम, कैल्शियम तथा आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। काफल के फल मे कई तरह के प्राकृतिक तत्व पाए जाते है जैसे माइरिकेटिन, मैरिकिट्रिन और ग्लाइकोसाइड्स इसके अलावा इसकी पत्तियों मे फ्लावेन-4′-हाइड्रोक्सी-3 पाया जाता है। काफल के पेड़ की छाल मे एंटी इन्फ्लैमेटरी, एंटी-हेल्मिंथिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल क्वालिटी पाई जाती है। जिनका प्रयोग विभिन्न प्रकार के रोगो के उपचार मे किया जाता है।

काफल सांस संबंधी समस्याओ, डायबिटीज, पाइल्स, मोटापा, सूजन, जलन, मुंह मे छाले, मूत्रदोष, बुखार, अपच और शुक्राणु के लिए फायदेमंद होने के साथ ही दर्द निवारण में उत्तम है। बाजार मे काफल ₹400 से लेकर ₹800 प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिकता है जो कि स्थानीय किसानो के लिए रोजगार का साधन भी है। काफल की उपयोगिता एवं औषधीय गुणो को देखते हुए काफल के वृक्ष का संरक्षण के साथ-साथ और अधिक अनुसंधान करने की आवश्यकता है।


Please click to share News

Govind Pundir

*** संक्षिप्त परिचय / बायोडाटा *** नाम: गोविन्द सिंह पुण्डीर संपादक: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल टिहरी। उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार। पत्रकारिता अनुभव: सन 1978 से सतत सक्रिय पत्रकारिता। विशेषता: जनसमस्याओं, सामाजिक सरोकारों, संस्कृति एवं विकास संबंधी मुद्दों पर गहन लेखन और रिपोर्टिंग। योगदान: चार दशकों से अधिक समय से प्रिंट व सोशल मीडिया में निरंतर लेखन एवं संपादन वर्तमान कार्य: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करना।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!