होलिका दहन 6 मार्च को प्रदोष काल में एवं रंगोत्सव 8 मार्च को मनाना शास्त्र सम्मत: आचार्य घिल्डियाल
देहरादून 2 मार्च 2023। इस वर्ष होलिका दहन 6 मार्च को सायंकाल प्रदोष काल में होगा 7 मार्च को गुजिया बनेंगे एवं 8 मार्च को रंग उत्सव मनाया जाना शास्त्र सम्मत है।
होली के त्यौहार पर सोशल मीडिया पर चल रहे असमंजस का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल का बड़ा बयान आज सामने आया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है ,कि शास्त्र के अनुसार होलिका दहन प्रदोष कालीन पूर्णमासी तिथि में ही होता है। अब रही भद्रा की बात तो यद्यपि भद्रा का पुचछ काल जिसे कार्यों के लिए शुभ माना जाता है, वह रात्रि 12:00 बजे के बाद शुरू हो रहा है ,परंतु होलिका दहन 6 मार्च को सायंकाल प्रदोष काल में 6:21 से 8:21 के मध्य किया जाना ही शास्त्र सम्मत है।
मंत्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित करने का विज्ञान विकसित करने वाले ख्याति प्राप्त ज्योतिष वैज्ञानिक डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल आगे बताते हैं, कि 7 तारीख को भी पूर्णमासी तिथि दिन भर है इसलिए उस दिन लोग मिठाई बना सकते हैं, परंतु प्रदोष काल में पूर्णमासी ना होने से उस दिन होलिका दहन नहीं हो सकता है।
राज ज्योतिषी डॉक्टर घिल्डियाल आगे बताते हैं, कि शास्त्रों के अनुसार रंगोत्सव प्रतिपदा तिथि में मनाया जाना शास्त्र सम्मत है, इसलिए 8 मार्च को ही होली के रंग खेले जाएंगे उन्होंने उत्तराखंड सरकार के 7 एवं 8 मार्च को अवकाश रखने के निर्णय को अत्यंत विवेकपूर्ण निर्णय बताया।
यह पूछे जाने पर कि कुछ हिंदू पंचांग 6 तारीख मार्च की रात्रि 4:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच होलिका दहन की बात कर रहे हैं ,और केंद्र सरकार ने भी 8 मार्च का अवकाश रखा है। डॉ घिल्डियाल ने स्पष्ट किया कि दरअसल संपूर्ण उत्तर भारत के पश्चिमी इलाके में और दक्षिण भारत में प्रदोष काल 6 तारीख को प्राप्त हो रहा है ,परंतु चंद्रमा की गति के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश और कुछ इलाकों में उस दिन प्रदोष प्राप्त ना होने से काशी के पंचांग ने यह व्यवस्था दी है, तो वहां के हिसाब से उन्होंने भी शास्त्र सम्मत बात ही की है। उसी आधार पर केंद्र सरकार ने 8 तारीख को अवकाश किया है।
पत्रकारों द्वारा यह कहने पर कि होली जैसा त्यौहार पूरे देश में अब अलग-अलग तरीके से 2 दिन मनाया जा रहा है ,क्या यह उचित है? के जवाब में व्यास पीठ पर आसीन होने वाले आचार्य घिल्डियाल ने बताया कि त्यौहार में वृद्धि होना पूरे राष्ट्र के लिए अत्यंत शुभ होता है, इसलिए इसको अन्यथा नहीं लेना चाहिए रंगो के त्यौहार को पूरे उत्साह के साथ शास्त्र सम्मत ही मनाना चाहिए।
स्मरणीय है कि जब भी त्योहारों पर कोई विवाद की स्थिति बनती है, लोग डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल के बयान का बेसब्री से इंतजार करते हैं, सरकार को कर्मचारियों के लिए वर्ष भर की अवकाश तालिका निकालते समय यदि डॉक्टर घिल्डियाल से मशविरा कर दिया जाए तो असमंजस जैसी स्थिति से बचा जा सकता है, और वह संस्कृत शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक के रूप में एक जिम्मेदार पद पर भी कार्य कर रहे हैं, इसलिए लोगों ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री से उन्हें” राजगुरु” का अवैतनिक पद देने की मांग की है, जिससे सरकार सहित पूरे राज्य का एक साथ सटीक ज्योतिषीय मार्ग दर्शन हो सके, जैसा राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय एनडी तिवारी ने भी दे रखा था, और सटीक ज्योतिषीय मार्गदर्शन की ही शायद वजह रही कि तिवारी जी एकमात्र मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने पूरे 5 वर्ष उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल पूरा किया।
परिचय- आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल वर्तमान में सहायक निदेशक शिक्षा विभाग उत्तराखंड शासन में सेवारत हैं। निवास स्थान-56/1धर्मपुर देहरादून, मोबाइल नंबर-9411153845 है।
उपलब्धियां:-
- वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा की सबसे पहले भविष्यवाणी की थी।
- वर्ष 2015 में शिक्षा विभाग में प्रथम गवर्नर अवार्ड।
- वर्ष 2016 में उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान।
- वर्ष 2017 में ज्योतिष विभूषण सम्मान।
- वर्ष 2019 में ज्योतिष वैज्ञानिक सम्मान।
- वर्ष 2020 में प्रथम वर्चुअल टीचर्स राष्ट्रीय अवार्ड।
- दिसम्बर 2022 में दोबारा उत्तराखंड ज्योतिष रत्न सम्मान।