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स्मृति वन ऋषिकेश में स्वास्थ्य के लिए योगा विषय पर कार्यशाला, योगाभ्यास एवं पौध रोपण

स्मृति वन ऋषिकेश में स्वास्थ्य के लिए योगा विषय पर कार्यशाला, योगाभ्यास एवं पौध रोपण
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ऋषिकेश 21 जून 2023। विश्व योग दिवस पर पण्डित ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्व विद्यालय परिसर, ऋषिकेश के नमामि गंगे प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई एवं जिला गंगा सुरक्षा समिति देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में “स्वास्थ्य के लिए योग” विषय पर स्मृतिवन ऋषिकेश में कार्यशाला एवं योगाभ्यास काआयोजन किया गया I

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रान्त पर्यावरण प्रमुख एवं जिला गंगा सुरक्षा समिति के सदस्य विनोद जुगलान ने कहा कि भारत में योग विद्या उतनी ही पुरानी है जितनी हमारी संस्कृति। हमारे सर्वाधिक पुरातन ऋग्वेद से लेकर धर्म ग्रंथ गीता में ‘योग: कर्मशू कौशलम’ का जिक्र मिलता है।तीर्थ और योग नगरी ऋषिकेश ने हमें कई विश्व विख्यात योग गुरु दिए जिनमें स्वामी राम धीरेंद्र ब्रह्मचारी के कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है। वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी एवं नमामि गंगे के नोडल अधिकारी डॉ. अशोक कुमार मैन्दोला ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा योग से शरीर के साथ-साथ आपका मानसिक स्वास्थ्य भी सही रहेता है. योग, प्राचीन भारत से उत्पन्न केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है बल्कि एक समग्र अभ्यास है। इसकी मदद से हम मन और आत्मा को शांति की ओर ले जा सकते हैं। योग आंतरिक शांति और व्यक्तिगत विकास का मार्ग प्रदान करता है। भारत में ऋषि-मुनि भी खुद को फीट रखने के लिए योग का सहारा लेते थे।योग के कई दूरगामी लाभ हैं। नियमित अभ्यास से शारीरिक शक्ति, लचीलापन और संतुलन में सुधार होता है। साथ ही समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिलता है। योग मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है, तनाव कम करता है और जीवन की चुनौतियों के बीच आंतरिक शांति की भावना पैदा करता है। और दूसरों के साथ हमारे संबंधों को पोषण देता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 की थीम ‘योग फॉर वसुधैव कुटुम्बकम’ रखा है Iश्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० एन०के० जोशी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सभी को बधाई देते हुए अपने संदेश में कहा की जहां बड़े-बड़े विकसित राष्ट्रों की सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्थाओं में पतन की स्थिति दृष्टिगोचर होती है तो वहीं भारतीय संस्कृति अपने जीवन मूल्यों के आधार पर पुनर्जीवन प्रदान कर रही है। भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृतियों में से एक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। अन्य राष्ट्रीय की संस्कृति तो समय-समय पर नष्ट होती रही है किंतु भारत की संस्कृति आदि काल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ आज भी अपने मूल स्वरूप में जीवित है। उन्होंने बधाई देते हुए कहा परिसर की एनएसएस इकाई नमामि गंगे प्रकोष्ठ एवं जिला गंगा सुरक्षा समिति देहरादून द्वारा स्मृतिवन में जनता के बीच कार्यशाला का आयोजन करना एक अच्छी पहल है इससे लोगों में योग एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी I परिसर के प्राचार्य प्रो महावीर सिंह रावत ने योग के महत्व के बारे में अपने संदेश में कहा योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क को भी शांति मिलती है, योग बहुत ही लाभकारी है। योग न केवल हमारे दिमाग, मस्‍तिष्‍क को ही ताकत पहुंचाता है बल्कि हमारी आत्‍मा को भी शुद्ध करता है I कार्यशाला एवं योगाभ्यास के बाद जिलाधिकारी अध्यक्ष जिलागंगा सुरक्षा समिति के निर्देशन में स्मृतिवन में पौध रोपण किया गया।

इस अवसर पर स्वजल परियोजना की सामुदायिक विकास अधिकारी मंजू जोशी, ,जल संस्थान के सहायक अभियंता अरुण विक्रम सिंह रावत,वनविभाग के अनुभाग अधिकारी वन दरोगा स्वयम्बर दत्त कंडवाल, वनबीट अधिकारी राजेश बहुगुणा,बीट सहायक देवेंद्र सिंह,कमल राजपूत,सुशील पाटिल,मामराज कंडियाल,बिमला नौटियाल,रेखा सजवाण,सविता काला, शशि राणा, सृष्टि आर्य,तन्मय कुमार,निधि निषाद,माधुरी ,संजना गुप्ता,सहयोगिता,अंकिता,मानसी,दुर्गा,खुशी, कुसुम,पूजा पांडे,दीक्षा सिंह,लक्ष्मी,आलोक सेमवाल, तुषार ,हंस राय,गुंजन ,प्रियांशु,आशुतोष,पूजा चौहान, रीना, अपऋषिका, गुंजन,नेहा आजेठुरी,स्वाति,साक्षी, नैथानी,मनजीत गौतम,रवीना अठुर भागीरथी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं सहित बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं शामिल रहे।योगाचार्य कामेश भट्ट ने सभी को योगाभ्यास कराया।
डॉक्टर मेंदोला द्वारा सभी प्रतिभागियों को का धन्यवाद ज्ञापित किया और प्रतिभागियों के आग्रह पर कार्यशाला के दौरान आए नए विषयों पर भविष्य में कार्यशाला करने का आश्वासन दिया।


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Govind Pundir

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