कल्याण के लिए आंतरिक जागृति, आंतरिक ज्ञान का होना जरूरी— नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
रायवाला 31 अक्टूबर। सैनिक कालोनी नम्बर दो रायवाला में देश के अमर शहीदों के सम्मान में दुर्गा कीर्तन मण्डली द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तीसरे दिन नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि हमारे बाहरी कृत्य, बाहरी कार्य, अच्छाई, बाहरी शब्द, बाहरी दिखाव, बाहरी व्यवहार, सत्संग सिर्फ बाहर ही रह जाते हैं। यदि एक छोटी सी घटना भी हमारे विपरीत, प्रतिकूल घट जाये। जब तक आंतरिक जागृति, आंतरिक ज्ञान न होगा।
जब तक हम आंतरिक तौर पे भगवान से जुड़े नही होंगे तब तक हमारा बाहरी व्यवहार, दिखाव, भक्ति, सत्संग आदि सब कुछ अस्थिर ही होगा। अच्छा काम करने मात्र से हम अच्छे नही हो जाते। बल्कि जब अंदर से अच्छे होते हैं, तब जो भी करें, वो अच्छा हो जाता है।
बाहर से मीठा बोलने से मीठे नही होते। बल्कि अंदर से मीठे होने पर जो बोले, वो मीठा हो जाता है। अंदर की जागृति, परिवर्तन, स्वभाव कीमती है। इनके बिना बाहर का सब बनावटी है। थोड़ी सी चोट लगने पर सब गायब हो जाता है।
आज कथा के अवसर पर श्री सुरेन्द्र सिंह विष्ट, शिवप्रसाद घिल्डियाल, विलास बडोला, आरती विष्ट, किरण विष्ट, संजय नेगी, सोहनलाल कंडवाल, दिलवर सिंह पंवार, कैप्टन राम सिंह रावत, उमेद सिंह एवं बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।