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राष्ट्रीय सेमिनार का समापन: पर्यावरण संरक्षण में सूचना, शिक्षा और संचार की भूमिका पर हुआ विचार-विमर्श

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चमोली। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जोशीमठ के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का समापन राजकीय इंटर कॉलेज, ज्योतिर्मठ के सभागार में हुआ। सेमिनार का विषय “पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन में सूचना, शिक्षा और संचार की भूमिका” था, जिसमें देशभर से 60 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस सेमिनार के निष्कर्षों को रिपोर्ट और पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा तथा महत्वपूर्ण सुझावों को “विजन डॉक्यूमेंट” के रूप में विकसित किया जाएगा।

मुख्य अतिथि खंड विकास अधिकारी मोहन प्रसाद जोशी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को हमारी संस्कृति का हिस्सा बनाना आवश्यक है और प्रत्येक शुभ अवसर पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए। मुख्य वक्ता सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती ने हिमालय की पर्यावरणीय भूमिका को रेखांकित करते हुए जन जागरूकता की अपील की। समाजसेवी राकेश चंद्र सती और ओमप्रकाश डोभाल ने आम जनजीवन में प्रकृति संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। प्राचार्य प्रो. प्रीति कुमारी ने युवाओं को पर्यावरण आंदोलन का हिस्सा बनने का आह्वान किया। डॉ. उदय सिंह रावत ने संचार माध्यमों के ज़रिए पर्यावरण चेतना के विकास पर विचार रखे।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि, उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने कहा कि ज्योतिर्मठ ने हमेशा देश-दुनिया को पर्यावरण संरक्षण का मार्गदर्शन दिया है। मुख्य उप वन संरक्षक बी.एस. मर्तोलिया ने जोशीमठ की जैव विविधता और वन संपदा के महत्व पर प्रकाश डाला और संरक्षण के व्यावहारिक उपाय साझा किए। आयोजन सचिव डॉ. जी.के. सेमवाल ने सभी अतिथियों, शोधार्थियों और प्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया।

32 शोधार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए और सेमिनार की संपूर्ण चर्चा को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. चरणसिंह केदारखंडी ने किया। आयोजन टीएचडीसी (THDC) के सहयोग से हुआ। इस अवसर पर व्यापार सभा ज्योतिर्मठ के अध्यक्ष नैनसिंह भंडारी, महामंत्री सौरभ राणा, सभासद राजेश्वरी भंडारी, वैभव सकलानी, पुष्कर सिंह राणा सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। महाविद्यालय के प्रबुद्ध परिवार से डॉ. धीरेंद्र डुंगरियाल, डॉ. नवीन कोहली, डॉ. मुकेश चंद, डॉ. राहुल तिवारी, डॉ. पवन कुमार, डॉ. किशोरी लाल, डॉ. शैलेन्द्र रावत सहित कई शिक्षाविदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।

यह सेमिनार पर्यावरण संरक्षण में शिक्षा, संचार और जन जागरूकता की भूमिका को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ। इसके निष्कर्षों को अमल में लाने से पर्यावरणीय संतुलन और सतत विकास को बढ़ावा मिलेगा।


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