बच्चों की शिक्षा, पोषण, और बाल श्रम की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक घोषणा पत्र जारी
देहरादून 12 अप्रैल। 18वीं लोकसभा के चुनावों के समय बच्चों की शिक्षा, पोषण, और बाल श्रम से सुरक्षा को लेकर एक सार्वजनिक घोषणा पत्र 2024 जारी किया गया है। इस घोषणा पत्र को सभी राजनैतिक दलों, प्रतिष्ठित व्यक्तियों, और समुदायों के पास पहुंचाने के लिए एक अभियान चलाया जा रहा है।
घोषणा पत्र में बच्चों की शिक्षा के अधिकार को लेकर कई मांग की गई हैं, जैसे कि शिक्षा के लिए कानूनी प्राधान 25.5 प्रतिशत विद्यालयों में ही लागू हो पाया है और वर्तमान में 8.4 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। इसके साथ ही, आरटीई के अनुसार प्रत्येक 1 किमी पर प्राथमिक विद्यालय का कानूनी प्रावधान अभी तक लागू नहीं हुआ है, और इसलिए 2026 तक सभी स्कूलों को आरटीई कानून के अनुसार पूर्ण रूप से लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों के अधिकार का दायरा 18 वर्ष और बाल श्रम का भी 18 वर्ष तक पूर्णरूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। घोषणा पत्र में बाल श्रम को रोकने के लिए राज्य में टास्क फोर्स की सक्रियता की मांग की गई है और बाल श्रम से मुक्त किए गए बच्चों के लिए बाल और किशोर पुनर्वास निधि के तहत संसाधनों का उचित कार्यान्वयन और वितरण किया जाना चाहिए। अन्य मांगों में शिक्षा के लिए बजट को कम से कम 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दी जानी चाहिए। इसके अलावा, ड्रोपआउट बच्चों को विद्यालय में लाने के लिए क्रेच और डेकेयर सेंटर स्थापित किए जाने चाहिए। बच्चों में कुपोषण को दूर करने के लिए पोषाहार संबंधी सभी कार्यक्रमों को संचालित किया जाना चाहिए, और स्थानीय स्तर पर उनकी निगरानी निरंतर रूप से की जानी चाहिए। उत्तराखंड राज्य के जनप्रतिनिधियों को चुनाव पूर्व बच्चों के मुद्दों पर सजग करने के लिए एक संयुक्त अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान के लिए एक बारह सूत्रीय घोषणा पत्र भी जारी किया गया है।