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उत्तराखंड के सिद्धपीठ मां ज्वालामुखी मंदिर में 10 दिवसीय चैत्र नवरात्रि का भब्य अनुष्ठान शुरू

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बिनकखाल से लोकेंद्र जोशी की रिपोर्ट।
चैत्र मास की पहली नवरात्रि से जनपद टिहरी गढ़वाल विकास खंड भिलंगना के सिद्ध पीठ ज्वालामुखी मंदिर देवढुंग में चैत्र नवरात्रि का भब्य अनुष्ठान शनिवार से शुरू हो गया है । बासर एवं थाती कठूड पट्टी के लगभग 30-35 गांवों के हजारों आबादी क्षेत्र की आराध्य देवी माँ ज्वालामुखी मंदिर में वर्ष में दो बार शारदीय एवं चैत्र नवरात्रि के रूप में आजोजन किया जाता है।


चैत्र नव रात्रि का 10 दिनों तक चलने वाला पौराणिक एवं धार्मिक आस्था का यह अनुष्ठान हजारों की आवादी द्वारा अपने पारम्परिक बाध्य यंत्रों एवं गुरु कैलापीर के सानिध्य में लगभग डेढ़ किलोमीटर की चढ़ाई चढ़कर कलश यात्रा से शुरू होती है और देवढुंग ज्वालामुखी मंदिर पहुँच कर, मंदिर में श्रृंगार के पश्चात स्थापित की जाती है। विद्वान पंडित मंडली के साथ घट स्थापना कर अनुष्ठान हजारों लोगों की उपस्थिति में शुरू होता है ।
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि सच्चे मन से माता के मंदिर में जो भी श्रधालु पहुंचता है उनकी मनोकामना सिद्ध होती है।
चारधाम यात्रा का अनादिकाल से बूढ़ा केदार धाम एवं ज्वालामुखी मंदिर देवढुंग बिनकखाल् प्रमुख पड़ाव रहा है जंहा से यमनोत्रि, गंगोत्री, का यात्री केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम को प्रस्थान करते हैं। किंतु अनादिकाल से चारधाम यात्रा का यह पौराणिक मार्ग, मोटरमार्ग के अभाव के कारण उपेक्षित है।
धार्मिक एवं साहसिक यात्रा वाला यह क्षेत्र प्राकृतिक सम्पदा से भरा पड़ा है, किंतु क्षेत्र आज भी उपेक्षित है, जिसका प्रमुख कारण राज नेताओं कमजोर इच्छा शक्ति के अलावा बन अधिनियम का काला कानून है जिसमे परिवर्तन होना आवश्यक है। चैत्र नवरात्रि के इस मेले का समापन 11 अप्रैल को होगा।


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