“अनुसंधान पद्धति: सफल शैक्षणिक अनुसंधान का रोडमैप” पर कार्यशाला आयोजित
ऋषिकेश, 27 जुलाई 2024। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के संकाय विकास केंद्र ने “अनुसंधान पद्धति: सफल शैक्षणिक अनुसंधान का रोडमैप” विषय पर कार्यशाला आयोजित की। इस कार्यशाला का आयोजन शिक्षा विभाग, पं. एल. एम. एस. कैंपस ऋषिकेश और संकाय विकास केंद्र, बादशाहीथौल (टिहरी गढ़वाल) के सहयोग से किया गया।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि और कार्यशाला के संरक्षक, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने इस अवसर पर कहा, “यह कार्यशाला अगली पीढ़ी के शोधकर्ताओं और विद्वानों को प्रोत्साहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने जोर दिया कि शोधार्थियों को पेटेंट पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि यह न केवल उनके अनुसंधान को मान्यता देगा, बल्कि उनके काम का वाणिज्यिक मूल्य भी बढ़ाएगा। प्रो. जोशी ने सांख्यिकीय डेटा और पूर्वानुमान डेटा उपकरणों के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिससे अनुसंधान की वैधता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होती है।
कैंपस निदेशक प्रो. एम.एस. रावत ने कहा, “यह कार्यशाला हमारे छात्रों और संकाय सदस्यों को अनुसंधान कौशल विकसित करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करती है।” कला संकाय के डीन प्रो. डी.सी. गोस्वामी ने अनुसंधान पद्धति की समझ को किसी भी शैक्षणिक क्षेत्र में सफलता के लिए आवश्यक बताया।
संकाय विकास केंद्र की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने कहा, “यह कार्यशाला प्रतिभागियों को अनुसंधान समस्या का चयन करने, साहित्य की समीक्षा करने और शोध प्रबंध तैयार करने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करेगी।” उन्होंने अनुसंधान समस्या चयन, साहित्य समीक्षा, और शोध प्रबंध की तैयारी के महत्व पर जोर दिया। प्रो. तोमर ने कहा, “सफल शैक्षणिक अनुसंधान केवल उत्तर खोजने के बारे में नहीं है; यह सही प्रश्न पूछने और उन्हें मौजूदा विद्वत परिदृश्य के भीतर संदर्भित करने के बारे में है।”
संकाय विकास केंद्र के उप निदेशक प्रो. अटल बिहारी त्रिपाठी ने कहा, “यह कार्यशाला शैक्षणिक उत्कृष्टता और व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
इस कार्यशाला में उर्सुलाइन महिला शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज, लोहरदगा रांची विश्वविद्यालय, झारखंड से डॉ. राहुल पांडे, शिक्षक शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शिक्षा संस्थान, एनसीईआरटी, नई दिल्ली से डॉ. भाबाग्रही प्रधान, वाणिज्य संकाय की डीन प्रो. कंचन लता सिन्हा, और विज्ञान संकाय के डीन प्रो. जी.के. ढींगरा सहित देश के विभिन्न हिस्सों और विभिन्न विभागों से आए 105 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इन प्रतिभागियों ने इस अवसर का लाभ उठाया और अपने अनुसंधान कौशल में सुधार किया।