ऐतिहासिक ग्राम सभा धारकोट बना पर्यटन, संस्कृति और जैव विविधता का अद्भुत केंद्र
टिहरी गढ़वाल 16 अक्टूबर 2024 । जनपद के ऐतिहासिक गांव धारकोट में 4 से 6 अक्टूबर 2024 तक इकोसंस्कृति कलेक्टिव द्वारा आयोजित ‘बायोक्वेस्ट 2024’ ने पर्यावरणीय जागरूकता, सांस्कृतिक धरोहर और जैव विविधता के संरक्षण का संदेश दिया। इस सिटिजन साइंस पहल में देश के विभिन्न राज्यों के छात्रों, शोधकर्ताओं और स्थानीय समुदाय ने मिलकर भाग लिया। इस वार्षिक आयोजन का मुख्य उद्देश्य धारकोट क्षेत्र की दुर्लभ वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की पहचान और संरक्षण पर काम करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत धारकोट की हेरिटेज वॉक से हुई, जिसका नेतृत्व श्री हरीश (Harry) नेगी ने किया। प्रतिभागियों को पारंपरिक पथाली घरों से परिचित कराया गया, जो इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास और पर्यावरण-संवेदनशील वास्तुकला का उदाहरण हैं। वॉक का समापन पारंपरिक गढ़वाली ढोल-दमाऊ की प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसने इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत अनुभव दिया।
जैव विविधता सर्वेक्षण और विशेषज्ञ सत्र
दूसरे दिन प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में धारकोट की जैव विविधता का गहन सर्वेक्षण किया। इस दौरान, पौधों, कीटों, स्तनधारियों और पक्षियों की लगभग 400 प्रजातियों को iNaturalist ऐप पर दर्ज किया गया। हाई-टेक कैमरा ट्रैप भी लगाए गए, जिनका उद्देश्य संकटग्रस्त प्रजातियों की निगरानी करना और अवैध शिकार को रोकना था। विशेषज्ञों जैसे डॉ. सास बिस्वास और श्री योगेंद्र नेगी ने स्थानीय वनस्पतियों और जीवों पर व्यावहारिक जानकारी साझा की।
स्थानीय व्यंजन और उत्पादों का प्रदर्शन
कार्यक्रम के दौरान स्थानीय गढ़वाली भोजन का आनंद भी लिया गया, जिसमें गहत दाल के पराठे और पारंपरिक चटनी प्रमुख आकर्षण रहे। यह आतिथ्य श्री विजयपाल नेगी और उनके परिवार के प्रयासों से संभव हुआ। शाम को आयोजित मिनी हाट में स्थानीय उद्यमियों द्वारा बनाए गए जैविक उत्पादों जैसे तिमला और आंवले के अचार, जख्या, और पुनर्नवीनीकृत रस्सियों का प्रदर्शन किया गया।
बर्ड वॉक और प्रकृति जर्नलिंग सत्र
तीसरे दिन, बेंगलुरु की प्रसिद्ध नैचुरलिस्ट श्रीमती दीपा मोहन के नेतृत्व में बर्ड वॉक का आयोजन हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने 50 से अधिक पक्षी प्रजातियों को देखा। इसके बाद, डॉ. सास बिस्वास ने प्रकृति जर्नलिंग का सत्र आयोजित किया, जिसमें प्रतिभागियों को अवलोकन कला से परिचित कराया गया।
इकोसंस्कृति कलेक्टिव के संस्थापक श्री ऋषव बिस्वास और श्रीमती श्रेया सिन्हा का लक्ष्य धारकोट को इको-टूरिज्म के लिए एक आदर्श केंद्र में बदलना है। उनका उद्देश्य न केवल पर्यावरणीय और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है, बल्कि स्थानीय युवाओं को नैचुरलिस्ट के रूप में प्रशिक्षित कर स्थायी आजीविका के अवसर भी प्रदान करना है। स्थानीय राजदूतों—श्री योगेंद्र नेगी, श्री हरीश नेगी और श्री विजयपाल सिंह नेगी—के सहयोग से वे पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रहे हैं।
पुरस्कार समारोह और समापन
डॉ. सास बिस्वास ने कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए वन्यजीव संरक्षण और आजीविका के बीच तालमेल स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उत्तराखंड चैप्टर के प्रमुख सदस्यों, जिनमें श्री योगेंद्र नेगी, श्री हरीश नेगी और श्री विजयपाल सिंह नेगी शामिल थे, को विशेष सम्मान दिया गया।
बायोक्वेस्ट 2024 का यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि कैसे स्थानीय समुदाय और बाहरी विशेषज्ञों के सहयोग से पर्यावरण और संस्कृति के बीच संतुलन स्थापित किया जा सकता है। इस पहल से धारकोट भविष्य में न केवल जैव विविधता संरक्षण बल्कि पर्यटन और स्थानीय उद्यमिता के क्षेत्र में भी एक नया उदाहरण पेश करेगा।