यौन उत्पीड़न रोकथाम पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
टिहरी गढ़वाल । नई टिहरी के कैरियर काउंसलिंग/सेमिनार कक्ष में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम और जेंडर समानता के मुद्दों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। इस कार्यशाला का आयोजन उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल द्वारा किया गया था। कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य प्रशिक्षकों ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम के कानूनी प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और अपर जिलाधिकारी के.के. मिश्रा ने कार्यशाला में भाग लेते हुए इसे एक सराहनीय पहल बताया और सभी उपस्थित अधिकारियों/कर्मचारियों से इसका लाभ उठाने की अपील की। जिलाधिकारी ने कहा कि कार्यशाला में दी गई जानकारी को व्यवहार में लाना सुनिश्चित करें और किसी भी शंका का समाधान यथासंभव प्राप्त करें।
मुख्य प्रशिक्षक डिप्टी कमांडेंट हरिद्वार अरुणा भारती और सुधा एनजीओ, अल्मोड़ा से बाल कल्याण समिति की सदस्य नीता उपाध्याय ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम के कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विशाखा गाइडलाइन्स, रूपम देवल बजाज केस, निर्भया केस, तरुण तेजपाल केस आदि पर चर्चा करते हुए कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों को रोकने की दिशा में समय-समय पर दिए गए फैसलों पर जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों में शिकायत दर्ज कराने के लिए अधिकतम 03 माह का समय होता है, जो विशेष परिस्थितियों में 06 माह तक बढ़ाया जा सकता है।
प्रशिक्षण में यह भी बताया गया कि जिन कार्यस्थलों पर 10 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं, वहां आंतरिक शिकायत समिति गठित होनी चाहिए, जबकि 10 से कम संख्या होने पर स्थानीय शिकायत समिति का प्रावधान है। शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में गोपनीयता का ध्यान रखा जाता है और शिकायतकर्ता को 06 प्रतियों में लिखित शिकायत देनी होती है। शिकायत दर्ज होने के 10 दिन के भीतर आरोपी को सूचित किया जाता है और पेश होने का निर्देश दिया जाता है।
पहले दिन आईएफएमएस और ई-ऑफिस की जानकारी दी गई, जबकि कार्यशाला के तीसरे दिन 16 नवंबर को आपदा प्रबंधन के संबंध में जानकारी दी जाएगी।
इस अवसर पर उत्तराखंड प्रशासन अकादमी, नैनीताल की असिस्टेंट प्रोफेसर मंजू पांडेय और विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।