भूटान प्रतिनिधिमंडल ने विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना की प्रगति और तकनीकी उपलब्धियों की सराहना की
चमोली, उत्तराखंड, 18 दिसंबर 2024। भूटान की प्रमुख जलविद्युत उत्पादन कंपनी, द्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन (डीजीपीसी) के आठ अधिकारियों का एक विशेष प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड के चमोली जिले में निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना (वीपीएचईपी) का अवलोकन करने पहुंचा। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य परियोजना के तकनीकी निर्माण, पर्यावरणीय प्रबंधन और प्रगति के पहलुओं की जानकारी प्राप्त करना था।
डीजीपीसी, जो भूटान में जलविद्युत विकास में एक अग्रणी संस्था है, परियोजना के टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) और अन्य उन्नत निर्माण तकनीकों का अवलोकन करने आई थी। 15 से 18 दिसंबर 2024 तक के दौरे के दौरान, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अधिकारियों ने परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर प्रस्तुतिकरण दिए। प्रतिनिधिमंडल ने भूमिगत पावर हाउस, हेडरेस टनल और हेलोंग गांव के पास स्थित बांध स्थलों का अवलोकन किया।
भौगोलिक कठिनाइयों के बावजूद परियोजना में हुई प्रगति की सराहना करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि यह दौरा उनके लिए एक महत्वपूर्ण सीखने का अवसर था, जिसने उन्हें बांध परियोजनाओं के डिज़ाइन, योजना और क्रियान्वयन के व्यावहारिक पहलुओं को समझने में मदद की। उन्होंने विश्व बैंक के अधिकारियों से वीपीएचईपी की प्रगति की सराहना के बारे में सुनी थी और परियोजना स्थल पर आकर इन उपलब्धियों को स्वयं देखा।
प्रतिनिधिमंडल में निम्नलिखित सदस्य शामिल थे: श्रीमती फूब जाम, कार्यकारी अभियंता (सिविल), पीसीडी; श्री तेम्पा शेरिंग, कार्यकारी अभियंता (सिविल), डीजीसी; श्री डेंडुप थारचेन, कार्यकारी अभियंता (सिविल), डीजीसी; श्री पेमा वांगचुक, कार्यकारी अभियंता (सिविल), डीजीसी; श्रीमती गंगा गजमेर, सहायक अभियंता (सिविल), डीजीसी; श्रीमती शेरिंग डेमा, भूवैज्ञानिक, डीजीसी; श्रीमती सोनम शेरिंग डेमा, सहायक अभियंता (सिविल), डीजीसी; श्रीमती दोरजी डेमा, सहायक अभियंता (सिविल), डीजीसी।
यह दौरा टीएचडीसी इंडिया की परियोजना के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और क्षेत्रीय सहयोग में ज्ञान-विनिमय को मजबूत करने का उदाहरण है।
टीएचडीसी इंडिया की विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर स्थित एक 444 मेगावाट रन-ऑफ-रिवर जलविद्युत परियोजना है, जो स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन के उद्देश्य से बनाई जा रही है। इसमें 65 मीटर ऊंचे कंक्रीट ग्रेविटी बांध के पास एक जलाशय है। भूमिगत पावर हाउस हाट गांव के पास स्थित है, जिसमें 111 मेगावाट की 4 यूनिट्स हैं।
13.4 किमी लंबी हेडरेस टनल, आधुनिक टीबीएम तकनीक से बनाई गई है, जो पानी को पावर हाउस तक सटीकता से पहुंचाती है। इस परियोजना में जीआईएस स्विचयार्ड, ओएफडब्ल्यूएफ ट्रांसफार्मर और उच्च दक्षता वाले टरबाइन जैसे उन्नत उपकरण शामिल हैं।
टीएचडीसी इंडिया की यह परियोजना भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है और भविष्य में क्षेत्रीय सहयोग और तकनीकी प्रगति के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करती है।