कल्यो–गढ़वाल की धरोहर” का शुभारंभ: वेबसाइट लॉन्च

कल्यो–गढ़वाल की धरोहर” का शुभारंभ: वेबसाइट लॉन्च
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टिहरी गढ़वाल। गढ़वाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने के उद्देश्य से रावत हॉस्पिटैलिटी द्वारा “कल्यो–गढ़वाल की धरोहर” का शुभारंभ किया गया। अब पहाड़ी उत्पाद अरसे, रोटाना, घेंजा आदि ऑनलाइन उपलब्ध हो सकेंगे। ध्यानियों के लिए कलेऊ अब ऑनलाइन बुक कर सकते हैं।

श्री दिनेश सेमवाल, प्रांत प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,

इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत मुख्य अतिथि श्री दिनेश सेमवाल प्रांत कार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तराखंड, और विशिष्ट अतिथि श्री किशोर उपाध्याय, विधायक, टिहरी, द्वारा की गई।

इस अवसर पर “कल्यो–गढ़वाल की धरोहर” की वेबसाइट भी लॉन्च की गई। इस मौके पर रावत हॉस्पिटैलिटी की ओर से अतिथियों को शॉल, पहाड़ी टोपी, कलेऊ की टोकरी भेंट की गई।
मकर संक्रांति के अवसर पर 7 हाई रॉक होटल बी-1 सेक्टर 3, वसंत विहार, नई टिहरी में में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री दिनेश सेमवाल प्रांत कार्यवाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तराखंड ने कहा कि गढ़वाल की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को डिजिटल मंच पर प्रस्तुत करने का यह प्रयास सराहनीय है। यह पहल गढ़वाल की अनमोल धरोहरों को सहेजने और युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में एक सार्थक कदम है। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को पुनः संवारने और सहेजने की जरूरत है। सेमवाल ने कहा कि जब तक हमारा मूल बिखरा रहेगा तब तक हम विश्व गुरु नहीं बन सकते। हम अपने त्योहारों को परंपरागत तरीके से मनाएं, रामायण और गीता अपने घर में रखें।
विशिष्ट अतिथि श्री किशोर उपाध्याय, विधायक, टिहरी ने कहा कि हम गंगा भागीरथी के मायके के लोग हैं हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को लेकर जागरूक होना होगा। उन्होंने रावत हॉस्पिटैलिटी के संस्थापक श्री सुरेंद्र रावत, वीरेन्द्र रावत, गजेंद्र रावत एवं परिवार को इस पहल के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।

इस मौके पर ग्रीन मेंटर डॉ वीरेंद्र रावत एवं होटल व्यवसायी सुरेन्द्र रावत ने कहा कि कल्यो गढ़वाल की प्राचीन परंपरा है। उत्तराखंड में जब बहन बेटियां मायके आती हैं तो उन्हें पारंपरिक व्यंजनों की टोकरी स्नेह स्वरूप भेंट की जाती है। इसी उद्देश्य से आज इसकी वेबसाइट लॉन्च की गई है।

इस मौके पर पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला, कांग्रेस जिलाध्यक्ष राकेश राणा, ऋषिकेश से आए देवेंद्र जुगलान जी ने भी अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में भाजपा नेता गोविन्द सिंह रावत, डॉ भरत सिंह राणा समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग तथा रावत परिवार के सगे संबंधी मौजूद रहे।
कार्यक्रम का मंगल सिंह पंवार द्वारा किया गया।

“कलेऊ” गढ़वाल की एक पवित्र और गहन भावनात्मक परंपरा है, जो विशेष रूप से ध्याणियों (विवाहित बेटियों) और उनके मायके के बीच अटूट रिश्ते, प्रेम और सम्मान का प्रतीक है। यह परंपरा पारंपरिक व्यंजन और उपहार के माध्यम से ध्याणियों के सुख, समृद्धि और शांतिमय जीवन की कामना करती है। यह केवल एक रस्म नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर की अमूल्य झलक है, जो न केवल पुरानी परंपराओं को जीवंत करती है, बल्कि नई पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक सार्थक प्रयास भी है। इस परंपरा के माध्यम से हमारी सभ्यता के सजीव रंग और संवेदनाएं उजागर होती हैं, जो हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को और भी मजबूत करती हैं।

इस शुभारंभ में निहित है वह प्रेम और अपनापन, जो हमें हमारी विरासत से जोड़ते हुए इसे भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने की प्रेरणा देता है। यह रस्म रिश्तों की मिठास और पारिवारिक मूल्यों के महत्व का उत्सव है।

* गोविंद पुंडीर, संपादक

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Govind Pundir

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