नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपी को 10 वर्ष की कठोर सजा, ₹5 लाख प्रतिकर देने के निर्देश

विशेष पोक्सो अदालत का बड़ा फैसला, मामला कुमालडा चौकी थाना चम्बा का
टिहरी गढ़वाल। जनपद टिहरी गढ़वाल की विशेष पोक्सो अदालत ने एक नाबालिग से दुष्कर्म मामले में आरोपी को कठोर सजा सुनाते हुए सख्त संदेश दिया है। विशेष न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट),टिहरी गढ़वाल श्री अमित कुमार सिरोही ने आरोपी सुरेश कुमार को दोषी करार देते हुए 10 वर्ष का सश्रम कारावास और राज्य सरकार को ₹5 लाख रुपये प्रतिकर के रूप में पीड़िता को एक माह में अदा करने का आदेश दिया है। यह ऐतिहासिक फैसला नाबालिगों के विरुद्ध अपराधों के मामलों में न्यायपालिका के कड़े रुख को दर्शाता है।
प्रकरण का पूरा घटनाक्रम
दिनांक 19 अप्रैल 2018 को वादी द्वारा थाना रायपुर, देहरादून में अपनी 16 वर्षीय नाबालिग पुत्री के लापता होने की सूचना दर्ज कराई गई थी। प्रारंभिक जांच के दौरान मामला टिहरी गढ़वाल जनपद के कुमालडा चौकी, थाना चम्बा का पाया गया।
जांच में स्पष्ट हुआ कि अभियुक्त सुरेश कुमार पीड़िता को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। पीड़िता लगभग छह माह बाद सहारनपुर से अभियुक्त के साथ बरामद हुई।
घटना की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्त के खिलाफ धारा 363, 366ए, 376 भारतीय दंड संहिता एवं पोक्सो अधिनियम 2012 की प्रासंगिक धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर मुकदमा अदालत में विचारार्थ प्रस्तुत किया गया।
अदालत का विस्तृत निर्णय
विशेष न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट),टिहरी गढ़वाल श्री अमित कुमार सिरोही, विशेष लोक अभियोजक महेंद्र सिंह बिष्ट ने उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर आरोपी सुरेश कुमार को दोषी पाया और दिनांक 08 सितंबर 2025 को निम्न सजाएँ सुनाईं—
धारा 363 भा.दं.सं. (अपहरण): 5 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹1,000 का जुर्माना।
धारा 366 भा.दं.सं. (अपहरण और विवाह हेतु बाध्य करना): 7 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹1,000 का जुर्माना।
धारा 5(एल)/8 पोक्सो अधिनियम, 2012 (गंभीर यौन शोषण): 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं ₹5,000 का जुर्माना।
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि सभी सजाएं समवर्ती रूप से चलेंगी। साथ ही, आरोपी पर अतिरिक्त रूप से ₹5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यदि अभियुक्त यह जुर्माना अदा नहीं करता है तो उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
पूर्व में आरोपी द्वारा जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित करने का भी आदेश पारित किया गया है।
अपील का अवसर
अदालत ने आरोपी को यह भी बताया कि वह इस निर्णय एवं दण्डादेश के विरुद्ध माननीय उत्तराखंड उच्च न्यायालय में अपील प्रस्तुत करने का अधिकार रखता है।
न्यायालय का संदेश:
यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर न्यायपालिका की सख्त मंशा और त्वरित कार्रवाई को दर्शाता है। अदालत का यह कदम समाज को यह संदेश देता है कि नाबालिगों के साथ यौन अपराध करने वालों को किसी भी स्थिति में बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कठोरतम सजा भुगतनी होगी।