आईसीएफआरई-वन अनुसंधान संस्थान में हिमालय दिवस-2025 पर ऑनलाइन संगोष्ठी

देहरादून, 10 सितम्बर। हिमालय दिवस-2025 के अवसर पर आईसीएफआरई-वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के विस्तार प्रभाग ने एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर डॉ. कलाचंद सैन (सेवानिवृत्त), पूर्व निदेशक, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने “हिमालय में जलवायु-प्रेरित भूवैज्ञानिक आपदाएँ और उनके उपचार” विषय पर मुख्य व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रमुख, विस्तार प्रभाग, श्रीमती ऋचा मिश्रा (आईएफएस) ने स्वागत भाषण से किया। उन्होंने हिमालय की जीवनरेखा जैसी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियाँ यहीं से उद्गमित होती हैं। मानवजनित दबाव और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन को उन्होंने आपदाओं का प्रमुख कारण बताया।
इसके बाद संस्थान की निदेशक डॉ. रेनू सिंह (आईएफएस) ने उद्घाटन संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि हिमालय केवल शक्ति का स्रोत ही नहीं बल्कि वैश्विक धरोहर है, जिसका संरक्षण हम सबका नैतिक दायित्व है। उत्तराखंड में हाल ही में आई बाढ़ आपदाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा पर जोर दिया।
तकनीकी सत्र में डॉ. कलाचंद सैन ने अपने प्रस्तुतीकरण में बताया कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र लगातार कमजोर हो रहा है। ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, हिमरेखा व वृक्षरेखा का ऊपर खिसकना इसके स्पष्ट संकेत हैं। उन्होंने कहा कि अनियंत्रित मानव गतिविधियाँ बाढ़, सूखा और भूस्खलन जैसी आपदाओं को जन्म दे रही हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए उन्होंने मजबूत निगरानी प्रणाली, व्यवस्थित योजना और संतुलित विकास की रणनीति पर बल दिया।
कार्यक्रम का समापन वैज्ञानिक-एफ डॉ. चरण सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत कर किया। संगोष्ठी में आईसीएफआरई-एफआरआई के अधिकारी एवं वैज्ञानिक, विभिन्न सहयोगी संगठनों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं सहित लगभग 70 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में वैज्ञानिक-ई श्री रामबीर सिंह तथा विस्तार प्रभाग की पूरी टीम का योगदान उल्लेखनीय रहा।