सनातनी संस्कृति और सभ्यता सबसे प्राचीन एवं नूतन है : नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

देववृंद (सहारनपुर)। बारात घर डांडी थामना रोड रणखण्डी में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत पित्रमोक्ष कथा का शुक्रवार को यज्ञ-हवन के साथ भव्य समापन हुआ। प्रातःकाल पंचांग पूजन के उपरांत वेदपाठी ब्राह्मणों ने लक्ष्मी-नारायण महायज्ञ सम्पन्न कराया।
समापन सत्र में व्यासपीठ पर विराजमान नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन का मार्मिक वर्णन करते हुए कहा कि –
“सक्षम मित्र को अपने अन्य मित्रों को भी सक्षम बनाने का प्रयास करना चाहिए, तभी समाज में निर्धनता समाप्त हो सकती है।”
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला जीवन के लिए विशेष संदेश देती है। गोवर्धन धारण की लीला बताते हुए स्वामी रसिक महाराज ने कहा कि –
“मानव जीवन कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा होता है। यदि आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ समस्याओं का सामना किया जाए तो वे पहाड़ जैसी बड़ी बाधाएं भी सहज ही दूर हो सकती हैं।”
स्वामी जी ने यह भी कहा कि सनातनी संस्कृति और सभ्यता सबसे प्राचीन है और नूतन भी, क्योंकि यह परिवर्तन को स्वीकार कर निरंतर आगे बढ़ती है। जबकि संकीर्ण पंथ जड़ विचारों में बंधे रहते हैं।
कथा समापन के बाद विशाल पित्रभोज भंडारा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री श्री के.पी. मलिक, उड़ीसा भाजपा प्रभारी एवं पूर्व राज्यसभा सांसद श्री विजयपाल तोमर, तथा उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री अनिल सिंह सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष, पूर्व ब्लॉक प्रमुख ठाकुर अनिल पुंडीर ने अतिथियों का फूलमाला पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया।
आज के कार्यक्रम में साध्वी माँ देवेश्वरी, वेदपाठी विपिन नौटियाल, आचार्य सूर्य शर्मा, संगीतकार रवि शास्त्री, गोल्डी नौटियाल, सौरव उपाध्याय सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण भक्तगण उपस्थित रहे।