भारत की पहली वेरिएबल पम्प स्टोरेज प्लांट टिहरी (1000 मेगावाट) अंतिम चरण में

दो यूनिटों से वाणिज्यिक उत्पादन पहले ही हो चुका शुरू
टिहरी गढ़वाल, 04 अक्टूबर 2025। भारत की पहली वेरिएबल पम्प स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) टिहरी (1000 मेगावाट) का कार्य अब लगभग अंतिम चरण में पहुँच गया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की चार इकाइयों में से 250-250 मेगावाट क्षमता वाली प्रथम एवं द्वितीय यूनिटें वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर चुकी हैं, जबकि शेष दो यूनिटों (500 मेगावाट) का कार्य भी विश्व-स्तरीय विशेषज्ञों की देखरेख में तेजी से पूरा किया जा रहा है। इन्हें जल्द ही भारतीय ग्रिड से जोड़ दिया जाएगा।
सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान
टिहरी पीएसपी परियोजना केवल तकनीकी दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टि से भी ऐतिहासिक महत्व रखती है। इसने भारत की कोयले पर निर्भरता घटाने, कार्बन उत्सर्जन कम करने और हरित ऊर्जा विकास को गति देने में अहम योगदान दिया है। परियोजना से जुड़े व्यापक निर्माण कार्यों ने हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराए हैं।
स्थानीय स्तर पर भी इसका बड़ा असर देखा गया है। निर्माण सामग्री, परिवहन, आवास, खाद्य सेवाओं और सहायक उद्योगों की बढ़ती मांग ने क्षेत्र में एक मजबूत आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह मॉडल दीर्घकालिक आर्थिकी के लिए अनुकरणीय है। इस परियोजना ने टिहरी को न केवल राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर भी एक नई पहचान दी है।
मजबूत ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में कदम
भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इस दिशा में पम्प स्टोरेज परियोजनाएँ ऊर्जा संतुलन और स्थिरता की सबसे बड़ी कड़ी मानी जा रही हैं। सौर और पवन ऊर्जा मौसम व समय पर निर्भर होती हैं, जबकि पीएसपी तकनीक की मदद से बिजली की मांग के अनुसार रियल टाइम में ऊर्जा का भंडारण और रिलीज़ संभव है।
टिहरी पीएसपी ऑफ-पीक घंटों में (जब मांग कम रहती है) थर्मल और नवीकरणीय उत्पादन को पम्प मोड में संतुलित करेगी, वहीं पीक आवर्स (जब मांग अधिक होगी) में जल का उपयोग कर विद्युत उत्पादन करेगी। इस प्रकार यह परियोजना एक “वाटर बैटरी” के रूप में कार्य करेगी।
परियोजना पूर्ण होने पर उत्तरी क्षेत्र की उत्पादन क्षमता में 1000 मेगावाट (वार्षिक उत्पादन लगभग 2442 मिलियन यूनिट) की बढ़ोतरी होगी। साथ ही ग्रिड की स्थिरता, सुरक्षा और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार होगा।