वैज्ञानिक शोध पत्र लेखन पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

ऋषिकेश: पंडित ललित मोहन शर्मा, श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश में दिनांक 14 अक्टूबर 2025 को उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) के तत्वावधान में आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) एवं वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा “वैज्ञानिक शोध पत्र लेखन” विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य शोधकर्ताओं एवं विद्यार्थियों को वैज्ञानिक लेखन के मूल सिद्धांतों से अवगत कराना एवं उनकी शोध क्षमता को बढ़ावा देना था।
मुख्य अतिथि परिसर निदेशक प्रो. एम.एस. रावत ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए शोध लेखन के महत्व पर प्रकाश डाला और छात्रों को इस क्षेत्र में गंभीरता से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के स्वागत के साथ हुई। IQAC निदेशक प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की, वहीं वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. वी.डी. पांडे ने शोध लेखन के महत्व एवं उद्देश्यों पर अपने विचार साझा किए। प्रो. शांति प्रसाद सती, डीन विज्ञान संकाय, ने विश्वविद्यालय व IIT रुड़की के मध्य हुए समझौते का उल्लेख करते हुए इसे छात्रों के लिए लाभकारी बताया।
प्रथम सत्र में IIT रुड़की के प्रोफेसर डॉ. विनोय के. पात्रा ने वैज्ञानिक लेखन की बारीकियों, विषय चयन, योजना निर्माण, साहित्य समीक्षा, तथा प्रभावी लेखन शैली पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान को अंतर्विषयी (interdisciplinary) रूप में समझने की बात कही।
द्वितीय सत्र में बीरबल साहनी पेलिओसाइंस संस्थान, लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. सुरेश कुमार पिल्लई ने जीवाश्म विज्ञान की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए शोध पत्र के विभिन्न घटकों – शीर्षक, सारांश, प्रस्तावना, अनुसंधान पद्धति, परिणाम, निष्कर्ष – को विस्तारपूर्वक समझाया। उन्होंने शोधपत्र की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए व्यावहारिक सुझाव भी दिए।
कार्यक्रम का समापन IQAC उपनिदेशक डॉ. राकेश कुमार जोशी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस अवसर पर परिसर के अनेक शिक्षकों, शोधार्थियों एवं छात्रों ने सहभागिता की।
उल्लेखनीय प्रतिभागियों में डॉ. एन.के. शर्मा, डॉ. शालिनी रावत, डॉ. एस.के. नौटियाल, डॉ. एस.के. कुड़ियाल, शालिनी कोटियाल, अर्जुन पालीवाल, डॉ. बिंदु, डॉ. दिनेश सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।