बुराई पर अच्छाई और सत्य की असत्य पर जीत है दीपों का पर्व- नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
रायवाला हरिद्वार। नृसिंह वाटिका आश्रम रायवाला में छ: दिवसीय दीपोत्सव पर्व के तीसरे दिन रुप चतुर्दशी एवं लक्ष्मी नारायण पूजन बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। देश विदेश से नृसिंह भक्ति सेवा संस्थान से जुड़े साधकों ने परमाध्यक्ष स्वामी रसिक महाराज के सानिध्य में महालक्ष्मी के विशेष मंत्रों का जप सायं प्रदोष काल से लेकर निशीथ कालीन मुहुर्त तक पूरी रात्रि जागरण एवं प्रातःकाल में हवन यज्ञ करके विश्व शान्ति की कामना की।
इस अवसर पर साधकों को प्रवचन देते हुए रसिक महाराज ने कहा कि हिंदू धर्म के प्रत्येक त्यौहार की तरह दिवाली का भी अपना ज्योतिषीय महत्व है। ऐसी मान्यता है कि अनेक पर्व और त्यौहारों पर बनने वाली ग्रहों की दशा एवं विशेष योग मानव समाज के लिए फलदायी होते हैं।
दिवाली का समय हिन्दुओं द्वारा किसी भी नए कार्य के शुभारंभ और किसी वस्तु को खरीदने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसका भी अपना ज्योतिषीय कारण है। दीपावली के समय तुला राशि में सूर्य और चंद्रमा स्वाति नक्षत्र में स्थित होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा की स्थिति किसी भी व्यक्ति को शुभ फल देने वाली होती है।
तुला राशि एक संतुलित भाव वाली राशि है जो न्याय और निष्पक्षता का प्रतिनिधित्व करती है। तुला राशि के स्वामी शुक्र सौहार्द, भाईचारे, सद्भाव और सम्मान का कारक हैं। इन्ही गुणों के कारण सूर्य और चंद्रमा का तुला राशि में स्थित होना शुभ संयोग का निर्माण करता है।
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