डांडी बड़कोट में दिव्य कलश यात्रा के साथ नौ दिवसीय भागवत कथा प्रारंभ: राष्ट्रीय संत रसिक महाराज देगें प्रवचन

रानीपोखरी ऋषिकेश । ग्राम डांडी बड़कोट भगवती सदन में दिव्य कलश यात्रा के साथ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा प्रारंभ हो गई। इस अवसर पर व्यासपीठ पर विराजमान नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि भागवत का फल स्वयं भगवान है। मानव जीवन ईश्वरीय अनुग्रह है। यह धर्म की सिद्धि, अस्तित्व के जागरण और सत्य की प्राप्ति के लिए हमें मिला है।
चिर स्थायी सुख भौतिक सुखों या क्षणिक आनंदों में नहीं, बल्कि सत्य, विवेक, त्याग, सेवा, सत्संग, और शुभ संकल्पों में निहित है। सत्य केवल शब्द नहीं, बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति है। सत्य बोलना मात्र नैतिकता का पालन नहीं है, यह जीवन जीने की आध्यात्मिक विधि है। सत्य में वह शक्ति है, जो मन को शांत करता है, संबंधों में सुदृढ़ता और आत्मा को ईश्वर के समीप लाता है। सत्य हमें भीतर से निर्भय बनाता है। जब हम सत्य बोलते हैं, तो हमारे विचार, वाणी और कर्म — तीनों में एकरूपता आती है। यही समरसता आत्मिक बल और स्थायी शांति का स्रोत बनती है। झूठ बोलने वाला व्यक्ति कभी भी सफलता और सम्मान का आनंद नहीं ले सकता है, जबकि सत्यनिष्ठ व्यक्ति ही जीवन में अनुकूलता और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करता है। मन को साधना वास्तव में कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। मन हमारी सभी अवस्थाओं का कारण है, और यह हमारे पतन और उन्नति दोनों का कारण बन सकता है।
आज इस अवसर पर कथा आयोजन समिति के प्रवक्ता प्रभात पंवार, साध्वी माँ देवेश्वरी, शकुन्तला मनवाल, सुमति सिलस्वाल, आचार्य दामोदर नौडियाल, महावीर पंत एवं बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।



