कोरोना से बोटिंग व्यवसाय ध्वस्त: मतस्य विपणन से समस्या का निदान संभव
सरकारी बोट यार्ड के अभाव में नावों को खतरा
गोविन्द पुण्डीर
गढ़ निनाद न्यूज़ * 1जून 2020
नई टिहरी: ” बैंकों से लोन लेकर लाखों की लागत से खरीदी गई बोटें टिहरी झील के किनारे धूल फांक रही हैं। बोट व्यवसाय कोरोना वायरस के असर से अत्यधिक प्रभावित हुआ है। सरकार चाहे तो इस सुझाव के अंतर्गत इस समस्या से निज़ात पा सकती है। नावों का तकनीकी उपयोगिता प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद मैरीन सर्वेयर द्वारा उपयुक्त पाए जाने पर इन्हें टिहरी झील के गाड़- गधेरों से मछ्ली पकड़ने, झील में मछलियों के बीज डालने, मछली पकड़ने आदि के कार्य में उपयोग की जा सकती हैं। जिससे स्थानीय बोट व्यवसायियों का धनोपार्जन भी होगा और सरकार को राजस्व भी मिलेगा।”
टिहरी बांध की झील में पर्यटन के लिए संभावित सरकारी या प्राइवेट बोटों के पानी के उतार- चढ़ाव के कारण सूखे धरातल पर उतारने से कभी भी कोई हादसा हो सकता है। यहां तक कि इस क्षेत्र में जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि जमीन पर पड़ी इन बोटों में आगजनी होने का खतरा बना रहता है।
कोरोना लॉक डाउन के चलते के पर्यटन व्यवसाय के ध्वस्त हो जाने के कारण टिहरी बांध की झील में पर्यटन,सैर के लिए संचालित बोट मालिकों की जमीन पर बिखरी पड़ी बोटों में भी कभी भी आगजनी का खतरा पैदा हो सकता है। इनकी सुरक्षा के लिए बोट यार्ड होना जरूरी है।
मैरीन सर्वेयर विपुल धस्माना का कहना है कि बोटें पानी के अंदर के लिए होती हैं यदि उन्हें पानी के बाहर रखा जाता है तो उसके अंदरूनी ढांचे में डिफेक्ट आ सकते हैं। इसके लिए अलग से बोट यार्ड की जरूरत होती है। धूप में किसी भी किस्म की बोटों (फाईवर आदि) के आकार में परिवर्तन होने का खतरा बना रहता है। जिससे पानी में उतारने पर यह सुरक्षित नहीं समझी जा सकती हैं।
धस्माना का कहना है कि गर्मी के चलते पेट्रोल के वाष्पीकरण से स्पार्किंग का ख़तरा बना रहता है। जिससे आग लगने का खतरा हो सकता है। जिससे जमीन में पड़ी बोट के इर्द गिर्द मानवीय गलती से कोई हरक़त हो गयी तो इससे कभी भी हादसा हो सकता है। क्योंकि बोटें लंबे समय तक पानी के बाहर रह रही हैं, इसलिए तकनीकी जांच के बाद एवं पानी मे परीक्षण के ततपश्चात ही ये वाटर स्पोर्ट्स के लिए सुरक्षित मानी सकती हैं।
बोट मालिकों द्वारा सरकार को राजस्व दिया जा रहा है तो सरकार का भी दायित्व बनता है कि बोट मालिकों की बोटो के लिए बोट यार्ड बनाकर दे दिया जाय ताकि उनकी बोट सुरक्षित रह सकें।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय व्यवसायियों ने बैंकों से दस-दस लाख रुपए के ऋण लेकर बोट लगायी हैं। ऊपर से लॉक डाउन के चलते काफी दिनों से बोट संचालन बन्द पड़ा है जिससे इन व्यवसायियों की बैंक की किश्तें तक नहीं जमा हो पा रही हैं। बोट संचालन न होने से बोट मालिक बर्बादी की कगार पर खडे हैं। ऊपर से सारी बोट सूखी जमीन पर बिना किसी सुरक्षा कवच (बोट यार्ड) के बिखरी हैं। जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
दूसरी ओर सरकार ने करोड़ों रुपए की लागत से फ्लोटिंग मरीना व बार्ज़ का निर्माण किया है। टिहरी बांध की झील में आजकल इनका भी कोई अता पता नहीं है की कहां हैं, कैसी है, सुरक्षित हैं कि नहीं। किसी को मालूम नहीं। पिछ्ले वर्ष फ़्लोटिंग मरीना को कई महीनों बाद पहाड़ से उतार कर पानी में उतारा जा सका था।
दिलचस्प बात यह है कि झील में उतारी गयी सरकारी बोटों का अभी तक तकनीकी फिटनेस तक नहीं हुआ है। अब नए वर्ष में भी अन्य बोटो का सर्वे न होने पर भी क्या इन्हें दुबारा सूखी जमीन से उठाकर संचालन के लिए पानी में उतारा जा सकेगा। यह देखने वाली बात होगी। हाल फिलहाल तो पांच दर्जन से ज्यादा प्राइवेट बोटो पर हादसे की तलवार तो लटक ही रही है।
हाल फिलहाल इन नावों की तकनीकी जांच उपरांत टिहरी झील के गाड़ गदेरों में मच्छी पकड़ने के काम में लाया जा सकता है। झील में मछलियों के बीज डालने के काम मे लाया जा सकता है। इस कार्य में एक बोट में दो ही लोग होते हैं तो कोरोना वायरस के चलते सोशलडिस्टनसिंग भी रहेगी और इन स्थानीय बोट मालिकों को भी रोज़गार मिल सकेगा। बोट मालिक कई बार शासन प्रशासन से अपनी रोजी रोटी के लिए गुहार लगा चुके हैं मगर अभी हालात हस के तस हैं।